दुष्कर्म पीड़िता को मात्र 6 घंटे में मिला न्याय, जल्दी फैसला सुनाने का ऐतिहासिक मामला

दुष्कर्म पीड़िता को मात्र 6 घंटे में मिला न्याय, जल्दी फैसला सुनाने का ऐतिहासिक मामला
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दुष्कर्म के एक मामले में न्याय प्रक्रिया मात्र 6 घंटे में पूरी हो गई। चार साल की बच्ची से दुष्कर्म के मामले में किशोर न्याय बोर्ड उज्जैन ने चालान पेश होने के मात्र 6 घंटे में ही फैसला सुना दिया। सोमवार को न्याय बोर्ड ने 14 साल के किशोर को उसकी इस हरकत के लिए 2 साल सिवनी के बाल संप्रेक्षण गृह भेजने का आदेश दे दिया। बता दें कि पुलिस के मुताबिक दुष्कर्म के मामले में इतनी जल्दी फैसला आने का यह देश में पहला मामला है। घटना 6 दिन पहले की बताई जा रही है।

किशोर ने इस घटना को अपने ही घर में अंजाम दिया था, उसने बच्ची को किसी बहाने से अपने घर बुलाया और उसके साथ दुष्कर्म किया। इसके बाद वो भागकर राजस्थान के चौमहला में अपने रिश्तेदार के यहां चला गया था। अगले दिन पुलिस टीम ने वहां पहुंचकर उसे पकड़ लिया। एसपी सचिन अतुलकर ने बताया कि 24 घंटे में ही डीएनए रिपोर्ट मिल गई, जिसमें बच्ची से दुष्कर्म की पुष्टि हुई। इसके बाद सोमवार सुबह 11 बजे मालनवासा स्थित किशोर न्याय बोर्ड में चालान प्रस्तुत किया। जज तृप्ति पांडे ने तत्काल सुनवाई शुरू कर दी। गवाहों, अन्य सबूतों, मेडिकल और डीएनए रिपोर्ट के आधार पर बोर्ड ने किशोर को दोषी पाया।

उधर, भागनढ़ थाना क्षेत्र के देवल गांव में 15 वर्षीय किशोरी से सामूहिक दुष्कर्म कर जिंदा जलाकर मारने के मामले में बीना के अपर जिला सत्र न्यायाधीश आलोक मिश्रा ने 22 साल के रब्बू उर्फ सर्वेश सेन को फांसी की सजा सुनाई है। जिले में इस तरह के मामलों में एक्ट संशोधन के बाद यह पांचवां फैसला है। कोर्ट ने इस मामले में घटना के 8 माह बाद फैसला दिया।

देवल गांव में 7 दिसंबर 2017 की रात करीब 8:30 बजे रब्बू ने किशोरी के साथ दुष्कर्म करने के बाद केरोसिन डालकर उसे जिंदा जला दिया था। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में एक अन्य नाबालिग आरोपी का केस किशोर न्यायालय में विचाराधीन है।

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