मध्य प्रदेश: श्योपुर में BJP तोड़ेगी 20 सालों का ट्रेंड या कांग्रेस को मिलेगा मौका
मध्य प्रदेश की श्योपुर विधानसभा क्षेत्र का 20 साल पुराना एक ट्रेंड रहा है. इस विधानसभा से बीते 20 सालों में किसी भी राजनैतिक दल को दूसरी बार जीत दर्ज करने का मौका नहीं मिला. इस विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने एक चुनाव में कांग्रेस के प्रतिनिधि को चुना तो दूसरे चुनाव में बीजेपी के उम्मीदवार को जीत दिलाई. यहां हर चुनाव में नए उम्मीदवार को अपने प्रतिनिधित्व के लिए चुना गया. श्योपुर के इसी ट्रेंड को देखते कांग्रेस को आशा है कि इस बार उनके प्रत्याशी को ही इस विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल होगी. वहीं बीजेपी 20 साल पुराने इस ट्रेड को तोड़कर जीत हासिल करने की हर संभव कोशिश कर रही है. हालांकि यह मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 के नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा कि बीजेपी इस विधानसभा क्षेत्र से 20 साल का ट्रेंड तोड़कर जीत हासिल करने में कामयाब रहती है या फिर मतदाता कांग्रेस को जीत दिलाकर अपना ट्रेंड बरकरार रखते हैं.
श्योपुर से किस पार्टी का कब से कब तक रहा प्रतिनिधित्व
1993 के विधानसभा चुनावों में श्योपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के रमाशंकर भारद्वाज ने 35.72 फीसदी मत हासिल कर जीत हासिल की थी. 1998 के विधानसभा चुनावों में इस क्षेत्र के मतदाताओं ने अपना प्रतिनिधित्व बदला और कांग्रेस के ब्रिजराज सिंह को जीत दिलाई. ब्रिजराज सिंह ने इस विधानसभा क्षेत्र से 32.68 फीसदी मत हासिल किए. वहीं बीजेपी इन चुनावों में 15.73 फीसदी मतों के साथ तीसरे पायदान पर थी. वहीं 2003 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के दुर्गालाल विजय, 2008 में कांग्रेस के ब्रिजराज सिंह और 2013 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के दुर्गालाल विजय को जीत मिली. इस तरह, 1993 से 2013 के बीच इस क्षेत्र के मतदाताओं ने अपनी पसंद किसी एक राजनैतिक दल को नहीं बनाया.
कांग्रेस के सपनों पर पानी फेर सकती है बीएसपी
श्योपुर विधानसभा क्षेत्र के 20 साल पुराने ट्रेंड को देखते हुए भले ही कांग्रेस को इस सीट से जीत की पूरी संभावना नजर आ रही हो, लेकिन इस बार बीएसपी न केवल बीजेपी बल्कि कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकती है. दरअसल, बीते 20 सालों में बीएसपी ने अपनी स्थिति बेहद मजबूत कर ली है. 1993 के विधानसभा चुनावों में जहां बीएसपी को महज 9.13 फीसदी वोट मिले थे, वहीं 2013 के चुनावों में बीएसपी का मत प्रतिशत 30.82 हो चुका था. बीते चुनावों में बीएसपी यहां पर दूसरे और कांग्रेस तीसरे पायदान पर थी. सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश में इस बार बीएसपी और कांग्रेस की बीच गठबंधन की बात भी चल रही है. यदि दोनों दलों के बीच गठबंधन होता है, तो बीएसपी अपनी दावेदारी इस सीट पर पेश कर सकती है. यदि गठबंधन नहीं हुआ तो बीएसपी का बढ़ा हुआ जनाधार निश्चित रूप से कांग्रेस और बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाएंगा.
जिनके दम पर लड़ना था चुनाव, उन्हीं ने बदल लिया पाला
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2013 में बीएसपी की सीट पर चुनाव लड़ने वाले बाबू जंडेल 48784 मतों के साथ दूसरे पायदान तक पहुंचने में सफल हो गए थे. बीएसएपी बाबू जंडेल के सहारे इस सीट को जीतने का दम भर रही थी. इसी बीच, बाबू जंडेल ने बीएसपी का दामन छोड़ कांग्रेस का हाथ थाम लिया. वहीं अपने इस जख्म को भरने के लिए बीएसपी कांग्रेस के कद्दावर नेता तुलसीनारायण को अपने साथ लाने में कामयाब रही है. अब बाबू जंडेल ने मीणा समाज में अपने प्रभाव को आधार बनाकर कांग्रेस से टिकट मांगना शुरू कर दिया है. वहीं बीएसपी से तुलसीनारायण भी इस बार विधायकी के टिकट के प्रबल दावेदार हैं. अब इस सीट पर बीएसपी और कांग्रेस के बीच गठबंधन चाहे हो या फिर न हो, दोनों प्रत्याशी एक दूसरे को काटने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. जिसका फायदा सीधी तौर पर बीजेपी को ही मिलेगा.
पार्टियों की अंदरूनी कलह से प्रभावित हो सकते हैं परिणाम
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2018 में न केवल बीजेपी बल्कि कांग्रेस को भी पार्टी में चल रही अंदरूनी कलह का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है. दरअसल, श्योपुर सीट से बीजेपी विधायक दुर्गालाल से स्थानीय कार्यकर्ता नाराज दिख रहे हैं. इस नाराजगी की बानगी हाल में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के कार्यक्रम में दिखी थी. इस कार्यक्रम के दौरान बीजेपी के कार्यकर्ताओं ने विधायक दुर्गालाल के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी. वहीं, इस सीट से विधायक रह चुके कांग्रेस के बृजराज सिंह चौहान को भी पार्टी की अंदरूनी कलह का सामना करना पड़ रहा है. इन दोनों प्रमुख पार्टियों के भीतर चल रही खींचतान का फायदा उठाते हुए बीएसपी अपनी स्थिति को लगातार मजबूत करती जा रही है.
चंबल के श्योपुर विधानसभा सीट का जातीय समीकरण
मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर बसे श्योपुर की पूर्वी सीमा में शिवपुरी, पश्चिम और दक्षिणी सीमा में कोटा (राजस्थान) और उत्तरी सीमा में मुरैना व ग्वालियर हैं. कुनो वाइल्ड लाइफ सेंचुर, ककेता जलाशय, डोब कुंड, त्रिवेणी संगम पर स्थित रामेश्वर, श्योपुर दुर्ग स्थित सहरिया जनजाति का संग्रालय, विजयपुर का किला यहां के प्रमुख पर्यटक स्थलों में शामिल हैं. इसके अलावा, श्योपुर स्थित ध्रुवकुंड, उठनवाड के शिवनाथ निमोदा का मठ, पनवारा देवी का मंदिर, सिरोनी हनुमान मंदिर, जल मंदिर बरौदा, खेत्रपाल जैनी का मंदिर प्रमुख धार्मिक स्थलों में एक हैं. श्योपुर सागौन की लकड़ी से बने फर्जी के लिए भी विख्यात है. श्योपुर का रावत (मीणा) और बैरवा (जाटव) समाज चुनाव की दिशा तय करता है, जबकि मुस्लिम और आदिवासियों की प्रभावशाली उपस्थित चुनाव को निर्णायक मोड़ तक पहुंचाती हैं.