अमेरिकी दबाव और धमकी भारत-रूस पर बेअसर, मोदी-पुतिन लगाएंगे एस-400 सौदे पर मुहर
- In देश 4 Oct 2018 11:03 AM IST
अमेरिकी धमकी और दबाव से बेपरवाह भारत और रूस शुक्रवार को करीब 5 अरब डॉलर अमेरिकी डॉलर के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम सौदे पर सहमति की मुहर लगाएंगे। रूस के राष्ट्रपति दो दिवसीय भारत दौरे के तहत बृहस्पतिवार को दिल्ली पहुंचेंगे और शुक्रवार को दोनों देशों की द्विपक्षीय वार्ता में इस सौदे पर मुहर लगेगी। गौरतलब है कि इसी सौदे के कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का अगले साल गणतंत्र दिवस मुख्य अतिथि भारत आने का फैसला ठंडे बस्ते में चला गया है।
सूत्रों के मुताबिक बीते महीने दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता में भी एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम सौदे पर गंभीर बातचीत हुई थी। इस बैठक में भारत ने साफ तौर पर इस सौदे के लिए आगे बढने का संकेत दिया था। इसी बैठक में भारत ने नवंबर से ईरान से तेल आयात करने की अमेरिकी मांग को स्वीकार कर लिया था। इससे पहले अमेरिका ने यह समझौता करने पर भारत पर प्रतिबंध लगाने की भी धमकी दी थी। इसी सौदे के कारण अमेरिका ने अपने राष्ट्रपति की जनवरी महीने में होने वाली भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक मुहर नहीं लगाई है। सूत्रों का कहना है कि एस-400 सौदे पर मुहर के बाद भारत ट्रंप के दौरे के लिए नए सिरे से कोशिश करेगा।
वार्ता के जरिए कई संदेश देंगे पुतिन-मोदी
5 अक्टूबर को रूस के राष्ट्रपति पुतिन और पीएम मोदी के बीच होने वाली द्विपक्षीय वार्ता के जरिए भारत यह संदेश देगा कि अमेरिका से बढ़ती नजदीकी के बावजूद उसके लिए रूस की अहमियत कम नहीं हुई है। गौरतलब है कि अमेरिका से बढ़ती नजदीकी के कारण कुछ वैश्विक मुद्दों पर भारत को रूस का पहले की तरह खुला समर्थन हासिल नहीं हुआ था। इस करार के बाद दोनों देशों की दूरी खत्म होगी। सूत्रों का कहना है कि एंटी डिफेंस सिस्टम सौदे के अतिरिक्त दोनों देश रक्षा के क्षेत्र में कई दूसरी योजनाओं का भी खाका खींचेंगे।
एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक मई महीने में रूस के सोची शहर में पुतिन मोदी के बीच हुई अनौपचारिक शिखर वार्ता में इस सौदे की सभी अड़चनों को दूर करने का निर्णय लिया गया था। इसके बाद बीते दिनों विदेश मंत्री ने रूस का दौरा कर इस सौदे को अंतिम रूप दे दिया। सौदे को अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही पुतिन की भारत यात्रा में इस सौदे पर समझौते का रास्ता साफ हुआ। दबाव के बीच भारत ने अमेरिका के सामने चीन की बढ़ती ताकत के मद्देनजर एयर डिफेंस सिस्टम सौदा के औचित्य को समझाने की कई कोशिशें की। अमेरिका के नहीं मानने के बाद अंतत: इस सौदे पर आगे बढ़ने का निर्णय लिया गया।