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अनूठा आदेश : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- तलाक ले लो, पर ताउम्र दोस्त बने रहो

अनूठा आदेश : सुप्रीम कोर्ट ने कहा- तलाक ले लो, पर ताउम्र दोस्त बने रहो

सुप्रीम कोर्ट ने एक अनूठे...Editor

सुप्रीम कोर्ट ने एक अनूठे फैसले में नौजवान पति-पत्नी को आजीवन दोस्त बने रहने की शर्त पर तलाक की इजाजत दे दी है। इस नतीजे पर पहुंचाने वाले सुप्रीम कोर्ट ने दोनों के बीच वैवाहिक संबंध में पड़ी दरार को पाटने की हरसंभव कोशिश की लेकिन वह नाकामयाब रहा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के जरूरी छह महीने केकूलिंग ऑफ पीरियड का को भी खत्म कर दिया।

मार्च, 2016 में रेवती (परिवर्तित नाम) और रोहित (परिवर्तित नाम) के बीच हिन्दू रीति-रिवाज के साथ शादी हुई थी। शादी के तीन महीने बाद ही दोनों के संबंध में दरार आ गई थी और पत्नी, पति का घर छोड़कर चली गई थी।

न्यायमूर्ति कूरियन जोसफल और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ ने अलग-अलग होने का निर्णय ले चुके इस पति-पत्नी के रिश्ते में पड़ी दरार को मिटाने की कोशिश की। पीठ ने इस पढ़े-लिखे पति-पत्नी से खुद बातचीत भी की और विवाद को सुलझाने का प्रयास किया, लेकिन बात नहीं बनी। लिहाजा सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद-142 (विशेषाधिकार) का इस्तेमाल करते हुए तलाक के जरूरी छह महीने के केकूलिंग ऑफ पीरियड' को खत्म कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब इस नवदंपती ने सोच-समझकर अलग होने का निर्णय ले लिया है, तो ऐसे में और छह महीने का इंतजार का कोई मतलब नहीं है। कोर्ट ने उनकी तलाक की अर्जी को स्वीकार तो कर लिया लेकिन यह जरूर कहा कि दोनों आजीवन दोस्त बने रहें।

सुप्रीम कोर्ट ने पति रोहित के वकील दुष्यंत पराशर से कहा कि अंतिम समझौते के तौर पर युवती रेवती को रुपये दिए जाए। पति इसके लिए तैयार हो गया। वहीं रेवती ने कहा कि वह रोहित के खिलाफ दर्ज सभी मुकदमे वापस ले लेंगी। रोहित ने जहां तलाक की याचिका दिल्ली में दायर की थी वहीं पत्नी ने गुजरात में दहेज उत्पीड़न व घरेलु हिंसा अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।

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