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मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा- मैं जैसा हूं, वैसा ही रहूंगा और खुद को बदलने वाला नहीं

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा- मैं जैसा हूं, वैसा ही रहूंगा और खुद को बदलने वाला नहीं

जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद अब...Editor

जस्टिस दीपक मिश्रा के बाद अब उच्चतम न्यायालय की बागडोर जस्टिस रंजन गोगोई के हाथों में आ गई है। माना जा रहा है कि अब अदालती कार्यवाही में परिवर्तन देखने को मिलेगा। नए मुख्य न्यायाधीश ने यह साफ कर दिया है कि वह मामलों और न्यायिक प्रशासन से निपटने के लिए आगे भी 'सख्त और आदर्शवादी' बने रहेंगे। उनके सम्मान में उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया था। जिसमें कहा गया था कि जस्टिस गोगोई को सख्ती और लगन के लिए जाना जाता है, वह नियम पुस्तिका के अनुसार चलते हैं।

एससीबीए के अध्यक्ष विकास सिंह ने जस्टिस रंजन गोगोई को लेकर कहा कि वह सख्त और आदर्शवादी हैं। उनकी इसी टिप्पणी पर उन्होंने कहा, 'मैं जो हूं वैसा ही रहूंगा और मैं खुद को बदलने वाला नहीं हूं। उन्होंने अपनी योजना बताई कि कैसे वह न्यायिक प्रक्रिया में सुधार लाएंगे और रिक्त स्थानों को भरेंगे खासतौर से निचली अदालतों कीं। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वह आने वाले 3-4 महीनों में रिक्त स्थानों को भरने की पूरी कोशिश करेंगे। समय कम है। हम थोड़े से समय में बेहतर परिणाम हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं।'

मामलों के जल्द निपटारे और आम लोगों को जल्दी न्याय मिलने में सबसे बड़ी बाधा निचली अदालतों और उच्च न्यायलयों के खाली पड़े पद हैं। जिला और निचली अदालतों में न्यायिक अधिकारियों के 5,925 पद खाली हैं। वही उच्च न्यायलयों में 31 अगस्त तक 41 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। यहां वर्तमान न्यायधीशों की संख्या 652 है जबकि अनुमोदित संख्या 1,079 की है। हर साल लगभग 75-85 न्यायधीश सेवानिवृत्त हो जाते हैं जबकि पदों पर नियुक्तियों के प्रतिशत को देखा जाए तो 24 उच्च न्यायालयों के 427 न्यायधीशों के पदों को भरने में 15 साल का समय लग जाएगा।

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