वैश्विक रिपोर्ट की चेतावनी- भारत को बड़ा खतरा, जलवायु परिवर्तन का असर आशंका से कहीं ज्यादा बदतर
- In देश 8 Oct 2018 11:23 AM IST
जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों पर से पर्दा हटाने वाली रिपोर्ट जारी कर दी गई है। ग्लोबल वार्मिंग अगर 2.7 डिग्री फारेनहाइट (1.5 डिग्री सेल्सियस) तक बढ़ जाएगा तो इसका असर आशंका से कहीं ज्यादा बदतर होगा। क्लाइमेंट चेंज पर इंटरगवर्नमेंटल पैनल (आईपीसीसी) ने रविवार को दक्षिण कोरिया के इचियन में जारी एक व्यापक मूल्यांकन के आधार पर यह अंदेशा जाहिर किया गया। जलवायु परिवर्तन पर यह बहुत अहम समीक्षा रिपोर्ट है। इस रिपोर्ट में भारत के लिए भी बड़ी चेतावनी है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि ऐसे हालात से बचने के लिए ग्रीन हाउस गैस और कार्बन उत्सर्जन को कम करना ही होगा।
जलवायु परिवर्तन के गंभीर खतरों से आगाह करती इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि दुनिया का तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ता है तो भारत को साल 2015 की तरह जानलेवा गर्म हवाओं का सामना करना पड़ेगा। साल 2015 में करीब 2,500 लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।
आईपीसीसी की रिपोर्ट के अनुमानों पर इस साल दिसंबर में पोलेंड में जलवायु परिवर्तन पर होने वाली बैठक में चर्चा होगी। इस बैठक में दुनिया भर की देश जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए पेरिस समझौते की समीक्षा करेंगे। सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देशों में से एक होने के कारण भारत इस वैश्विक बैठक में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
बढ़ते तापमान पर खतरे की घंटी बजाते हुए इस रिपोर्ट में कहा गया है कि औसत वैश्विक तापमान 2030 तक 1.5 डिग्री (प्री-इंडिस्ट्रियल लेवल से अधिक) के स्तर तक पहुंच सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'यदि तापमान इसी गति से बढ़ता रहा तो ग्लोबल वार्मिंग 2030 से 2052 के बीच 1.5 डिग्री सेल्यिस तक बढ़ सकता है।'
कोलकाता, कराची पर बड़ा खतरा: रिपोर्ट
यह रिपोर्ट भारतीय उपमहाद्वीप में उन शहरों खासतौर से कोलकाता और काराची का जिक्र करती है जहां गर्म हवाओं का सबसे अधिक खतरा है। कोलकाता और कराची में 2015 जैसे हालात सालभर रह सकते हैं। रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से गर्म हवाओं के कारण होने वाली मौतें बढ़ रही हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोकने के लिए इंसानों द्वारा पैदा किए गए कार्बन उत्सर्जन को 2010 के स्तर से 2030 तक 45 फीसदी तक कम करने की जरूरत है, जिसे 2050 तक बिलकुल शून्य करना होगा।
गरीबी और महंगाई बढ़ेगी
आईपीसीसी रिपोर्ट से संकलित '1.5 हेल्थ रिपोर्ट' को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन और क्लाइमेट ट्रैकर ने कहा है कि 2 डिग्री सेल्यिस तापमान बढ़ने पर भारत और पाकिस्तान पर सबसे बुरा असर होगा। जलवायु परिवर्तन के कारण खाद्य असुरक्षा की वजह से गरीबी बढ़ेगी, खाद्य पदार्थ महंगे होंगे, आमदनी में कमी, आजीविका के अवसरों में कमी, जनसंख्या पलायन और खराब स्वास्थ्य जैसी समस्याएं भी होंगी।
रिपोर्ट के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग की वजह से गरीबी भी बढ़ेगी। इसमें कहा गया है, 'ग्लोबल वार्मिंग को 2 डिग्री सेल्सियस की बजाय 1.5 डिग्री सेल्यिस तक रोकने से 2050 तक करोड़ों लोग जलवायु परिवर्तन से जुड़े खतरों और गरीबी में जाने से बच जाएंगे।' तापमान वृद्धि की इस सीमा से मक्का, धान, गेंहूं और दूसरे फसलों में कमी भी रुक सकती है।
बता दें कि भारत ने पिछले वित्त वर्ष में केवल थर्मल पावर सेक्टर से करीब 929 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन किया था, जो कि देश का 79 फीसदी पावर जेनरेट करता है।