चार महिलाएं जिन्होंने लड़ी मंदिरों-दरगाहों में भेदभाव के खिलाफ लड़ाई
- In देश 17 Oct 2018 1:01 PM IST
सबरीमाला मंदिर का विवाद बढ़ गया है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद महिलाओं का एक समूह बुधवार को मंदिर में प्रवेश के लिए तैयार है, तो दूसरी ओर कई धार्मिक संगठन और मंदिर का पुजारी परिवार इसके विरोध में उतर आया है.
मामला सियासी रंग में भी रंग गया है क्योंकि बीजेपी और उसके सहयोगी संगठनों ने पिनारई विजयन की अगुवाई वाली प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि जानबूझ कर सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर नहीं की जा रही. विजयन की सरकार और पार्टी ने पलटवार करते हुए बीजेपी और आरएसएस पर मंदिर मुद्दा भड़काने का आरोप लगाया है.
इस बीच, वह महिला भी काफी सुर्खियों में है जिसने सबरीमाला मंदिर में महिला श्रद्धालुओं के प्रवेश की लड़ाई लड़ी. सड़क से लेकर अदालत तक जिस महिला ने इस मुद्दे को पुरजोरी से उठाया उनका नाम है तृप्ति देसाई. तृप्ति देसाई इससे पहले महाराष्ट्र में शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिला चुकी हैं. तृप्ति देसाई की तरह देश में और भी कई महिलाएं मंदिर-मस्जिद में प्रवेश की लड़ाई लड़ चुकी हैं. इनमें नरजहां सफिया नियाज, जकिया सोमन और अभिनेत्री जयमाला के नाम अहम हैं.
तृप्ति देसाई और सबरीमाला की लड़ाई
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिलाने और पूजा करने की इजाजत मिलने के पीछे सबसे अहम योगदान समाजसेवी तृप्ति देसाई का है. इन्होंने बिना रुके ये लड़ाई जारी रखी और आखिरकार उन्हें जीत मिली. तृप्ति देसाई को महिलाओं के हक के लिए मंदिर संस्थाओं से लड़ने की वजह से कई बार धमकियां भी मिलीं लेकिन वह पीछे नहीं हटी.
पुणे की रहने वाली तृप्ति देसाई पिछले कई सालों से महिलाओं के हितों के लिए काम कर रही हैं. इसके लिए उन्होंने 'भूमाता ब्रिगेड' नाम की संस्था भी शुरू की है. संस्था की शाखा सिर्फ पुणे में ही नहीं, अहमदनगर, नासिक और शोलापुर में भी है. महाराष्ट्र के शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिलाने के पीछे तृप्ति का बहुत बड़ा योगदान रहा.
तृप्ति समाजसेवी अन्ना हजारे के साथ कई सामाजिक कार्यों में हिस्सा ले चुकी हैं. उन्होंने इससे पहले नासिक के त्रयंबकेश्वर, कपालेश्वर मंदिर और कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर में महिलाओं को प्रवेश दिलाने के लिए भी आंदोलन किया था. पुणे के खेड तहसील के कनेरसर के यमाई देवी के मंदिर के खास हिस्से में पुरुषों के प्रवेश पर पाबंदी के खिलाफ भी वह लड़ाई लड़ चुकी हैं.
सफिया नियाज, जकिया सोमन और हाजी अली दरगाह
मुंबई की मशहूर हाजी अली दरगाह में साल 2016 से पहले महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी. दरगाह में महिलाएं प्रवेश पा सकें, इसके लिए समाजसेविका नूरजहां सफिया नियाज ने लंबी लड़ी. नियाज ने अगस्त 2014 में बॉम्बे हाई कोर्ट में इसकी याचिका दायर की. उनके साथ जाकिया सोमन भी थीं. अंततः 26 अगस्त 2016 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए ट्रस्ट की ओर से दरगाह के भीतरी गर्भगृह में प्रवेश पर पाबंदी को गैरजरूरी माना और बैन हटा लिया. अब महिलाएं दरगाह में चादर चढ़ा सकती हैं.
महिला अधिकारों के लिए जकिया सोमन के साथ मिलकर भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) के गठन के चार साल बाद, नूरजहां सफिया नियाज और बीएमएमए की कुछ दूसरी महिलाओं ने 2011 में मुंबई की हाजी अली दरगाह में प्रवेश किया. इन महिलाओं ने अरब सागर के तट पर बनी सदियों पुरानी दरगाह के गर्भगृह में प्रवेश किया, दुआ मांगी और लौट आईं. एक साल बाद, जब वे फिर दुआ के लिए गईं, तो उन्हें अंदर जाने से रोक दिया गया.
इस भेदभाव से सन्न नियाज ने बीएमएमए के सदस्यों के साथ राज्य सरकार के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और महिला आयोग में जाकर अपनी बात रखी लेकिन उससे कोई फायदा न हुआ तो उन्होंने अदालत जाने का फैसला किया. एक दर्जन वकीलों से मिलने के बाद आखिरकार, नियाज को एक वकील मिला जो उनका पक्ष अदालत में रखने को राजी हुआ. कई सुनवाइयों के बाद आखिरकार अदालत ने उनके हक में फैसला सुनाया और दरगाह ट्रस्ट को महिलाओं के लिए दरवाजे खोलने के निर्देश दिए.
जयमाला और सबरीमाला विवाद
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पीछे जिस कन्नड़ अभिनेत्री का नाम है, वो हैं जयमाला. मीडिया रिपोर्टों की मानें तो 2006 में जयमाला ने दावा किया था कि वह अपने पति के साथ भगवान अयप्पा के दर्शन किए. इसके बाद भारी विवाद खड़ा हुआ था.
2006 में सबरीमाला के प्रमुख ज्योतिषी परप्पनगडी उन्नीकृष्णन ने चिंता जाहिर करते हुए कहा था कि अयप्पा अपनी ताकत खो रहे हैं. उसके बाद उन्नीकृष्णन ने यह भी दावा किया था कि भगवान इसलिए नाराज हैं क्योंकि मंदिर में किसी युवा महिला ने प्रवेश किया है.
ठीक इसी समय कन्नड़ अभिनेता प्रभाकर की पत्नी जयमाला ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने भगवान अयप्पा की मूर्ति को छुआ है. वह ही इसके लिए जिम्मेदार हैं.
कन्नड़ अभिनेत्री ने कहा था कि वह अपने किए के लिए प्रायश्चित करना चाहती हैं. यह मामला तूल पकड़ने के बाद 14 दिसंबर 2010 को पठानीमिट्ठा जिले के रन्नी में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में केरल पुलिस ने जयमाला के खिलाफ़ चार्जशीट दाखिल की. पुलिस ने जयमाला पर जानबूझकर तीर्थस्थल के नियमों का उल्लंघन करते हुए लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया था.