मतदाता सूची में पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह का नाम गायब, कांग्रेस ने साजिश का लगाया आरोप

मतदाता सूची में पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह का नाम गायब, कांग्रेस ने साजिश का लगाया आरोप
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मध्यप्रदेश में होने वाले चुनाव के मद्देनजर सियासी पारा चरम पर है। वोटर लिस्ट से नाम गायब होने के एक मामले ने राज्य में तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस के पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह का नाम मतदाता सूची से गायब है जिसे लेकर पार्टी में जबर्दस्त गुस्सा है । मतदाता सूची से मंत्री का नाम ही हटाने को लेकर कांग्रेस भाजपा पर दोष मढ़ रही है । जबकि मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह का नाम मतदाता सूची में न होने के मामले को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच कराए जाने की बात कही है।

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने सोमवार को निर्वाचन सदन में मीडिया से चर्चा के दौरान कहा कि आयोग जल्द ही जांच करेगी कि सूची में नाम कैसे गायब हो गया। इससे पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने पूर्व मंत्री यादवेंद्र सिंह का नाम टीकमगढ़ की मतदाता सूची से गायब होने को बड़ी साजिश बताया था। उन्होंने कहा कि भाजपा के इशारे पर कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों के नाम चुनाव से पहले जानबूझकर मतदाता सूची से काटे जा रहे हैं।

चुनाव की तैयारी में डूबे कांग्रेस के सीनियर नेता कमलनाथ ने कहा कि अब तो मुझे भी देखना होगा कि कहीं वोटर लिस्ट से मेरा नाम तो गायब नहीं कर दिया गया है। वहीं,कांग्रेस ने नरेला विधानसभा के संबंध में आयोग से शिकायत की है कि वहां अभी भी मतदाता सूची में 11 हजार फर्जी वोटर हैं। इस पर आयोग ने जांच का आश्वासन दिया है।

आने वाले चुनाव की तैयारी को लेकर सीईओ वीएल कांताराव ने मतदाताओं को विधानसभा चुनाव-2018 से संबंधित सभी जानकारी ट्विटर, फेसबुक और यू-ट्यूब के जरिए सोशल मीडिया पर भी उपलब्ध कराने का दावा किया है। युवा मतदाताओं को निर्वाचन संबंधी जानकारी उपलब्ध करवाने के लिए आयोग ने फेसबुक पर सीईओ एमपी स्वीप के नाम से, तो ट्विटर व यू-ट्यूब पर सीईओ एमपी इलेक्शन 2018 नाम से अकाउंट बनाए हैं। इनके माध्यम से वोटर लिस्ट से नाम जुड़वाने, कटवाने और संशोधन संबंधी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

वहीं पहली बार मध्यप्रदेश में चुनाव आयोग ने बीएलओ के काम का मूल्यांकन 10 बीएलओ पर एक पर्यवेक्षक को नियुक्त कर कराने के निर्देश दिए हैं, जो क्लास-2 स्तर का अफसर होगा। उन्हें 12 हजार रुपए वार्षिक मानदेय दिया जाएगा। प्रदेश के सभी 65 हजार 340 मतदान केंद्रों की निगरानी के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति होगी। इसमें 10 मतदान केंद्र पर एक पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाएगा।

चुनाव आयोग के मुताबिक प्रदेश के 31 जिलों में ईवीएम और वीवीपैट की फर्स्ट लेवल चैकिंग का काम पूरा कर लिया गया है। 20 जिलों में अगले एक सप्ताह में यह काम पूरा कर लिया जाएगा। वोटर लिस्ट पर दावे-आपत्तियों के आवेदन 31 अगस्त तक लिए जाएंगे, जिनका निराकरण कर वोटर लिस्ट 27 सितंबर तक प्रकाशित कर दी जाएगी, जिसके आधार पर विधानसभा 2018 के आम चुनाव कराए जाएंगे।

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