Home > देश > दागियों को चुनाव टिकट देने पर दखल न दे सुप्रीम कोर्ट: केंद्र सरकार

दागियों को चुनाव टिकट देने पर दखल न दे सुप्रीम कोर्ट: केंद्र सरकार

दागियों को चुनाव टिकट देने पर दखल न दे सुप्रीम कोर्ट: केंद्र सरकार

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार...Editor

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार (28 अगस्त) कहा कि मतदाताओं को उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि जानने का अधिकार है और चुनाव आयोग से राजनीतिक दलों को निर्देश देकर यह सुनिश्चित करने के लिए कहा जा सकता है कि आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे लोग उनके चुनाव चिन्हों के जरिये उनकी टिकट पर चुनाव नहीं लड़ें. सरकार ने कोर्ट कहा कि इस मामले में उसे दखल नहीं देना चाहिए. इन टिप्पणियों के बाद प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कई याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा. निर्वाचन आयोग और केन्द्र सरकार सहित पक्षों ने दलीलें पूरी कीं.

शीर्ष अदालत इस सवाल पर गौर कर रही है कि आपराधिक सुनवाई का सामना कर रहे किसी जनप्रतिनिधि को मामले में आरोप तय होने के चरण में अयोग्य ठहराया जा सकता है या नहीं. फिलहाल, जनप्रतिनिधियों पर दोषसिद्धि के समय से पाबंदी लगती है. पीठ ने उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि जानने के मतदाताओं के अधिकार संबंधी टिप्पिणयां ऐसे समय कीं जब केन्द्र ने कड़ा विरोध जताते हुए कहा कि न्यायपालिका को पूर्व शर्त लगाकर विधायिका के क्षेत्र में प्रवेश नहीं करना चाहिए जिसका चुनावों में उम्मीदवारों की सहभागिता के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.

केन्द्र की ओर से पेश अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ से कहा, 'न्यायाधीशों की मंशा हास्यास्पद है. लेकिन सवाल यह है कि क्या अदालत ऐसा कर सकती है. जवाब है 'नहीं'. वह पीठ के इस सुझाव पर जवाब दे रहे थे कि आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे लोग चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र होंगे लेकिन वे पार्टी चुनाव चिन्ह के जरिये पार्टी टिकट पर ऐसा नहीं कर सकते. संविधान पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति आर एफ नारिमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ और न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा शामिल हैं.

केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने राजनीतिक व्यवस्था को स्वच्छ करने की शीर्ष अदालत की मंशा की तो सराहना की लेकिन साथ ही कहा कि न्यायपालिका विधायिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. वेणुगोपाल ने दोष सिद्ध होने तक व्यक्ति को निर्दोष मानने की अवधारणा का जिक्र किया और कहा कि न्यायालय व्यक्ति के मत देने के अधिकार पर शर्त नहीं लगा सकती है और इसमें चुनाव लड़ने का अधिकार भी शामिल है.

पीठ ने कहा कि उसकी मंशा विधायिका के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने की नहीं है परंतु मतदाताओं को प्रत्याशी की पृष्ठभूमि के बारे में जानने का अधिकार है. पीठ ने जानना चाहा कि क्या न्यायालय निर्वाचन आयोग से इस तरह की शर्त निर्धारित करने के लिये कह सकता है कि राजनीतिक दल चुनाव से पहले अपने सदस्यों की आपराधिक पृष्ठभूमि सार्वजनिक करेंगे ताकि आम जनता को प्रत्याशियों और उनके आपराधिक अतीत, यदि कोई हो, के बारे में जानकारी मिल सके.

शीर्ष अदालत ने इससे पहले राजनीति के अपराधीकरण को 'गंदगी' बताया था और कहा था कि वह निर्वाचन आयोग को यह निर्देश देने पर विचार कर सकता है कि राजनीतिक दल अपने सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामलों को सार्वजनिक करें ताकि मतदाताओं को पता लग सके कि ऐसे दलों में कितने 'कथित रूप से दागी' शामिल हैं.

न्यायालय गैर सरकारी संगठन पब्लिक इंटरेस्ट फाउण्डेशन सहित कई व्यक्तियों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था. इनमें अनुरोध किया गया है कि ऐसे जनप्रतिनिधियों को चुनावी राजनीति में शामिल होने के अयोग्य घोषित किया जाये जिनके खिलाफ आपराधिक मामलों में आरोप तय हो चुके हैं

Tags:    
Share it
Top