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सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: शंकराचार्य की गद्दी पर फिलहाल स्वामी स्वरूपानंद ही विराजमान माने जाएंगे

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ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य की गद्दी पर फिलहाल स्वामी स्वरूपानंद ही विराजमान माने जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने उनको शंकराचार्य मानते हुए कुंभ मेले में भूमि और सुविधाएं देने का राज्य प्रशासन को निर्देश दिया है। सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि इस मामले में दोनों पक्षों के अधिकार का निर्णय अंतिम सुनवाई के बाद होगा। स्वामी स्वरूपानंद की ओर से दाखिल विशेष अनुमति याचिका पर जस्टिस अरुण मिश्र और जस्टिस विनीत सरन की पीठ ने सुनवाई की।

स्वामी स्वरूपानंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता आरपी रावल ने कहा कि शंकराचार्य ज्योतिष्पीठ की गद्दी पर अंतिम निर्णय होने तक स्वामी स्वरूपानंद को ही शंकराचार्य माना जाए। पिछले वर्ष कुंभ मेले में उनको शंकराचार्य के तौर पर भूमि आवंटित नहीं की गई थी। पीठ ने कहा कि स्वरूपानंद शारदापीठ द्वारिका के भी निर्विवाद रूप से शंकराचार्य हैं, इसलिए उनको शंकराचार्य मानते हुए कुंभ मेले में भूमि आवंटित की जाए। पीठ ने कहा है कि स्वामी वासुदेवानंद को भी कुंभ मेले में भूमि आवंटित की जाए, मगर शंकराचार्य की हैसियत से नहीं।

उनके अधिकारों पर फैसला अंतिम सुनवाई के बाद होगा। स्वामी स्वरूपानंद ने हाईकोर्ट के 22 सितंबर 2017 के निर्णय को एसएलपी दाखिल कर चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने ज्योतिष्पीठ बद्रिकाश्रम के शंकराचार्य की गद्दी को लेकर चल विवाद में स्वामी स्वरूपानंद और स्वामी वासुदेवानंद दोनों की नियुक्ति को अवैध मानते हुए नए सिरे से शंकराचार्य की नियुक्ति का आदेश दिया था। मनकामेश्वर मंदिर के प्रमुख स्वामी श्रीधरानंद ब्रह्मचारी का कहना है कि बीते माघ मेले के दौरान प्रशासन ने स्वामी स्वरूपानंद को भूमि नहीं दिए जाने से उन्होंने अपना शिविर नहीं लगाया था।सुप्रीम कोर्ट का निर्देश: शंकराचार्य की गद्दी पर फिलहाल स्वामी स्वरूपानंद ही विराजमान माने जाएंगे

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