केंद्र सरकार और आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल के बीच उभरा तनाव
- In देश 29 Oct 2018 11:31 AM IST
केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के बीच तनातनी देखने को मिल रही है। दोनों के बीच नीतिगत मुद्दों को लेकर पर्याप्त मतभेद हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल के शुरुआती महीनों में सरकार और आरबीआई के बीच दूरियां बढ़ी हैं। यहां तक कि सरकार और आरबीआई के बीच संवादहीनता की स्थिति तक बनती जा रही है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर विरल अचार्य ने शुक्रवार को सरकार के हस्तक्षेप की ओर इशारा किया था। विरल अचार्य ने आरबीआई की स्वायत्तता को लेकर चिंता जाहिर की थी। विरल ने कहा था कि आरबीआई की स्वायत्तता पर चोट किसी के हक में नहीं होगी।
विरल ने कहा था कि सरकार के केंद्रीय बैंक के कामकाज में ज्यादा दखल देने से उसकी स्वायत्ता प्रभावित हो रही है। केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार से थोड़ा दूरी बनाकर रखना चाहती है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। सरकार की तरफ से बैंक के कामकाज में सीधा हस्तक्षेप किया जा रहा है, जो कि घातक हो सकता है।
कहा जा रहा है कि वर्तमान हालात का असर उर्जित पटेल के भविष्य पर भी पड़ सकता है। रिपोर्ट का कहना है अगले साल सितंबर में उर्जित पटेल के तीन साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है। पटेल के सेवा विस्तार की बात तो दूर की है उनके बाकी के कार्यकाल पर भी सवाल उठ रहे हैं।
रिपोर्ट का कहना है कि केवल 2018 में ही कम से कम आधे दर्जन नीतिगत मसलों पर मतभेद उभरकर सामने आए। सरकार की नाराजगी ब्याज दरों में कटौती नहीं किए जाने को लेकर भी रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नीरव मोदी की धोखाधड़ी सामने आने के बाद भी सरकार और केंद्रीय बैंक में तनाव की स्थिति पैदा हुई थी। पटेल चाहते हैं कि सरकारी बैंकों पर नजर रखने के लिए आरबीआई के पास और शक्तियां होनी चाहिए।
सरकार के अंदर मौजूद कुछ लोगों का इस मामले पर कहना है कि रघुराम राजन इससे (उर्जित) बेहतर थे। अकेले 2018 में आधे दर्जन से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें केंद्र और गवर्नर का स्टैंड एक-दूसरे से अलग रहा। इस मनमुटाव की शुरुआत तब हुई जब आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की बजाए उसमें बढ़ोतरी की गई, इससे सरकार नाराज हो गई। इसने दोनों के बीच तनातनी की शुरुआत की। केंद्रीय बैंक का मानना था कि यह पूरी तरह से उसके अधिकार क्षेत्र में आता है।