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एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल कर रहीं महिलाएं सचेत हो जाएं,हार्ट अटैक का खतरा, इन लक्षणों को ना करें नजरअंदाज

एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल कर रहीं महिलाएं सचेत हो जाएं,हार्ट अटैक का खतरा, इन लक्षणों को ना करें नजरअंदाज

लंबे समय से एंटीबायोटिक दवाओं...Editor

लंबे समय से एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल कर रहीं महिलाएं सचेत हो जाएं। एक अध्ययन का दावा है कि इससे हार्ट अटैक या स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है। यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, दो महीने से एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने वालीं 60 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं में हृदय रोग का सबसे ज्यादा खतरा पाया गया। लंबे समय तक इन दवाओं का इस्तेमाल करने वाली अधेड़ उम्र (40 से 59 साल) की महिलाओं में भी हृदय रोग बढ़ने का खतरा पाया गया। हालांकि 20 से 39 साल की महिलाओं में ऐसा कोई खतरा नहीं पाया गया।

अमेरिका की तुलेन यूनिवर्सिटी के निदेशक लू की ने कहा, 'गट (आंत) में बैक्टीरिया के संतुलन में बदलाव लाने में एंटीबायोटिक्स सबसे अहम कारक हैं। पूर्व के अध्ययनों में गट बैक्टीरिया में होने वाले बदलावों का सूजन, रक्त वाहिनियों के सिकुड़ने, स्ट्रोक और हृदय रोग से संबंध पाया जा चुका है।' पूर्व के अध्ययनों में गट बैक्टीरिया में होने वाले बदलावों का सूजन, रक्त वाहिनियों के सिकुड़ने, स्ट्रोक और हृदय रोग से संबंध पाया जा चुका है।

1928 में खोजी गई थी पहली एंटीबायोटिक

पहली एंटीबायोटिक, पेनसिलिन की खोज वर्ष 1928 में हुई थी। इसके बाद से अब तक तकरीबन 51 एंटीबायोटिक्स दवाओं की खोज हो चुकी है। इनका 5 से 15 दिन का कोर्स होता है, जिसे पूरा करना जरूरी होता है। कोर्स पूरा न करने पर संक्रामक बीमारी और खतरनाक हो सकती है।

क्या हैं एंटीबायोटिक दवाएं

WHO के मुताबिक एंटीबायोटिक दवाएं, वायरस संक्रमण को रोकने और इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं हैं। एंटीबायोटिक प्रतिरोध तब होता है, जब इन दवाओं के उपयोग के जवाब में बैक्टीरिया अपना स्वरूप बदल लेता है।

ये है एंटीबायोटिक का खतरा

एंटीबायोटिक के गलत इस्तेमाल से बैक्टीरिया प्रतिरोधी बन जाते हैं। ये बैक्टीरिया मनुष्यों और जानवरों को संक्रमित कर सकते हैं। गैर-प्रतिरोधी बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण से उनका इलाज कठिन हो जाता है। एंटीबायोटिक प्रतिरोध, इसके दुरुपयोग और बहुत ज्यादा उपयोग से भी तेज होता है।

ज्यादातर लोग सोचते हैं कि हार्ट अटैक सिर्फ पुरुषों को होता है महिलाओं को नहीं लेकिन आजकल की बदलती लाइफस्टाइल के दौरान हार्ट अटैक की समस्या किसी को भी हो सकती है। महिलाओं में हार्ट अटैक के दौरान कई तरह के लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें अनदेखा करना महंगा पड़ सकता है। आइए जानते हैं क्या हैं वो लक्षण जिन्हें महिलाओं को भूलकर भी अनदेखा नहीं करना चाहिए।

चक्कर आना

चक्कर आना या सिर घूमना हार्ट अटैक का एक अन्य लक्षण है। यह हृदय को जाने वाली एक शिरा में अवरोध होने के कारण होता है। जब महिलाओं को अपने अंदर ये बदलाव दिखे तो उन्हें सावधान हो जाना चाहिए। इसे काम के प्रेशर के चलते होने वाली कमजोरी या फिर कोई दूसरा कारण ना समझें। हार्ट अटैक के लक्षणों को अक्सर लोग मामूली समझ कर नजरअंदाज कर देते हैं। जिसके परिणाम बाद में झेलने पड़ते हैं।

सीने में दर्द

महिलाओं में हार्ट अटैक का लक्षण केवल सीने में दर्द नहीं हो सकता परंतु निश्चित तौर पर ऐसा होता है। लक्षणों पर ध्यान देने के बजाय यदि आप को कुछ नए लक्षण महसूस हो रहे हैं और वे दूर नहीं हो रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। डॉक्टरों के अनुसार बाद में पछताने से अच्छा है कि सुरक्षित रहें।

जबड़े में दर्द

यदि आपके जबड़े में दर्द है है तो इसका अर्थ है कि आपको हार्ट अटैक आया है क्योंकि इसके पास जो नसें होती हैं वे आपके हृदय से निकलती हैं। यदि दर्द बना रहे तो आपको दांतों की परेशानी है। यदि यह थोड़ी-थोड़ी देर में होता है तथा जब आप थक जाते हैं और यह दर्द बढ़ जाता है तो यह दिल से संबंधित हो सकता है।

शरीर के ऊपरी भाग में तेज दर्द

गर्दन, पीठ, दांत, भुजाएं और कंधे की हड्डी में दर्द होना हार्ट अटैक के लक्षण हैं। इसे 'रेडीएटिंग' दर्द कहते हैं। यह इसलिए होता है क्योंकि दिल की कई धमनियां यहां समाप्त होती हैं जैसे उंगलियों के पोर जहां दर्द केंद्रित होता है।

जी मिचलाना, उलटी, पेट खराब होना

हार्ट अटैक के समय पुरुषों की तुलना में महिलाओं में जी मिचलाना, उलटी या अपचन जैसे लक्षण अधिक दिखाई देते हैं। यह अक्सर इसलिए होता है क्योंकि दिल को रक्त पहुंचाने वाली दायीं धमनी जो दिल में गहराई तक जाती है, अवरुद्ध हो जाती हैं।

सांस लेने में परेशानी

एक अध्ययन से पता चला है कि लगभग 42% महिलाएं जिन्हें हार्ट अटैक आया उन्हें सांस लेने में परेशानी की समस्या का सामना करना पड़ा। हालांकि पुरुषों में भी यह लक्षण होता है परंतु महिलाओं में सीने में दर्द के बिना सांस लेने में परेशानी जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

पसीना आना

यदि आप रजोनिवृत्ति के दौर से नहीं गुजर रही हैं और फिर भी आपको अचानक पसीना आने लगे तो संभल जाएं। इस लक्षण की अनदेखी ना करें तुरंत अपने नजदीकी अस्पताल या डॉक्टर से संपंर्क करें।

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