गठबंधन राजनीति के महायोद्धा अटल, ऐसे साधी 24 दलों की सरकार
- In देश 25 Dec 2018 12:18 PM IST
देश की मौजूदा सियासत में कांग्रेस और बीजेपी- दोनों पार्टियां गठबंधन के सहारे सत्ता के सिंहासन पर पहुंचने की कवायद में जुटी हैं. देश में गठबंधन की राजनीति 1977 में ही शुरू हो गई थी, लेकिन इसे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कामयाब बनाया. वाजपेयी ने 24 दलों को साथ लाकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए बनाया और पांच साल तक सरकार चलाई. अटल की यह उपलब्धि इसलिए भी खास थी क्योंकि उनसे पहले कोई भी गठबंधन सरकार पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई थी.
1998 में एनडीए का गठन
अटल बिहारी वाजपेयी ने बीजेपी को शून्य से शिखर तक पहुंचाने के काम किया है. बीजेपी के नेतृत्व में मई, 1998 में एनडीए का गठन किया. गैर- कांग्रेसी सरकार के गठन के दिशा में ये पहला कदम था. हालांकि, एक साल में गठबंधन टूट गया था, जब जयललिता ने समर्थन वापस ले लिया था.
इसके बाद 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने कुछ नए दलों के साथ मिलकर गठबंधन बनाया और प्रधानमंत्री बने. इस बार एनडीए में करीब 24 दल शामिल थे और उन्होंने पांच साल सरकार चलाई. हालांकि, 2004 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को हार का मुंह देखना पड़ा.
बीजेपी की राह पर कांग्रेस
वाजपेयी के गठबंधन की राह को कांग्रेस ने अपनाया. 2004 के लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी ने कई दलों के साथ मिलकर कांग्रेस के नेतृत्व में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) गठन किया. कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए दस साल देश की सत्ता पर विराजमान रही, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की लहर में करारी हार का मुंह देखना पड़ा.
अब एक बार फिर देश में कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन बन रहा है, जिसमें हाल ही में एनडीए का साथ छोड़कर आए उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी शामिल हुई हैं. जबकि दूसरी ओर बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सहयोगी दलों को साथ जोड़कर रखने में लगे हैं.
हालांकि, वाजपेयी के दौर में बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की कमान हमेशा सहयोगी दलों के पास रही है. एनडीए के संयोजक की जिम्मेदारी पहले जॉर्ज फर्नांडीज, फिर शरद यादव और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेताओं ने संभाली थी. इसी का नतीजा था कि एनडीए की सरकार पांच साल सफलतापूर्वक चली.