राफेल सौदाः अनिल अंबानी को पार्टनर बनाने से लेकर केवल 36 विमान खरीदने की पूरी कहानी
- In देश 17 Oct 2018 4:30 PM IST
फ्रांस के साथ 36 राफेल विमान (Rafale Fighter Jet) खरीदने संबंधी रक्षा सौदे को लेकर देश में सियासत जारी है. कांग्रेस इस मुद्दे पर लगातार पीएम नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री पर हमला कर रही है. बीच-बीच में फ्रांसीसी मीडिया की रिपोर्टों, वहां के नेताओं के बयान, इस विवाद में 'आग में घी' का काम कर रहे हैं. इन सबके बीच बीते दिनों फ्रांस में भारत के राजदूत रहे राकेश सूद ने अंग्रेजी अखबार द हिंदू में राफेल सौदे को लेकर एक लेख लिखा है, जिसमें उन्होंने इस डील को संदेहों से भरा और 'मेक इन इंडिया' (Make in India) कार्यक्रम को झटका पहुंचाने वाला करार दिया है. इस लेख के जरिए पूर्व राजदूत और वर्तमान में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सदस्य राकेश सूद ने इस सौदे के सभी प्रमुख बिंदुओं पर क्रमवार तरीके से ध्यान दिलाया है. साथ ही तीन प्रमुख सवाल उठाए हैं, जिस पर उनका कहना है कि सरकार को स्पष्ट जवाब देना चाहिए ताकि रक्षा सौदे पर चल रहा विवाद शांत हो. राफेल सौदे को समग्र रूप से समझने के लिए राकेश सूद के इस लेख के बिंदुओं को पढ़ना आवश्यक है.
डील की घोषणा पीएम ने की, रक्षा मंत्री को नहीं थी जानकारी
द हिंदू के अनुसार, अप्रैल 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक फ्रांस दौरे के समय 36 राफेल विमानों की खरीद की घोषणा की गई थी. भारतीय वायुसेना के लिए वर्ष 2000 में शुरू हुए इस सौदे के तहत पहले 126 राफेल विमानों की खरीद का समझौता हुआ था. इसके तहत 18 विमानों की डिलिवरी होनी थी, जबकि 108 विमानों की असेंब्लिंग का जिम्मा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को दिया जाना था. कई दौर की वार्ताओं के बाद वर्ष 2011 में यूरोफाइटर टाइफून और दसॉल्ट (Dassault Group) राफेल द्वारा डाले गए टेंडरों पर विचार के बाद वर्ष 2012 में राफेल का नाम तय हुआ.
लेकिन पीएम मोदी के दौरे के बाद पुराने सौदे को रद्द कर दिया गया और 36 बने-बनाए राफेल फाइटर जेट खरीदने का सौदा किया गया. द हिंदू के अनुसार, उस समय के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर को फ्रांस के साथ हुए इस सौदे की जानकारी नहीं थी. बहरहाल, डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल और रक्षा संबंधी कैबिनेट कमेटी ने इस सौदे को मंजूरी दी और तय हो गया कि वर्ष 2019 और 2022 में राफेल विमान भारत को मिल जाएंगे. इसी समझौते में यह भी तय हो गया था कि नई परिस्थितियों में HAL को राफेल विमानों की देश में असेंब्लिंग का जिम्मा नहीं दिया जाएगा. बता दें कि राफेल विमानों की इसी खरीद प्रक्रिया के बारे में बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की बेंच ने सरकार से जवाब मांगा है. इस मामले की अगली सुनवाई 31 अक्टूबर को होगी.