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'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना के 75 साल पूरे होने पर PM मोदी ने लालकिले पर फहराया तिरंगा

आजाद हिंद सरकार की स्थापना के 75 साल पूरे होने पर PM मोदी ने लालकिले पर फहराया तिरंगा

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अब तक स्वतंत्रता दिवस के दिन यानि 15 अगस्त को ही प्रधानमंत्री लालकिले पर ध्वजारोहण करते रहे हैं। ऐसा पहली बार हुआ है जब 21 अक्टूबर को भी लाल किले से प्रधानमंत्री ने तिरंगा फहराया। सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली 'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना के 75 साल पूरे होने पर लाल किले में एक विशेष समारोह आयोजित किया गया और ध्वजारोहण किया गया।

आपको बता दें कि 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में प्रांतीय आजाद हिंद सरकार की स्थापना की थी। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के दौरान संस्कृति मंत्री महेश शर्मा और आजाद हिंद फौज के सिपाही लाती राम और सुभाष चंद्र बोस के परिवार के सदस्य भी शामिल हुए।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर अपने संबोधन में कहा, "आज मैं उन माता पिता को नमन करता हूं जिन्होंने नेता जी सुभाष चंद्र बोस जैसा सपूत देश को दिया। मैं नतमस्तक हूं उस सैनिकों और परिवारों के आगे जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई में खुद को न्योछावर कर दिया।"

पीएम मोदी ने कहा कि आजाद हिन्द सरकार सिर्फ नाम नहीं था, बल्कि नेताजी के नेतृत्व में इस सरकार द्वारा हर क्षेत्र से जुड़ी योजनाएं बनाई गई थीं। इस सरकार का अपना बैंक था, अपनी मुद्रा थी, अपना डाक टिकट था, अपना गुप्तचर तंत्र था। नेताजी का एक ही उद्देश्य था, एक ही मिशन था भारत की आजादी। यही उनकी विचारधारा थी और यही उनका कर्मक्षेत्र था।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भारत अनेक कदम आगे बढ़ा है, लेकिन अभी नई ऊंचाइयों पर पहुंचना बाकी है। इसी लक्ष्य को पाने के लिए आज भारत के 130 करोड़ लोग नए भारत के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। एक ऐसा नया भारत, जिसकी कल्पना सुभाष बाबू ने भी की थी।

पीएम मोदी ने कहा कि कैम्ब्रिज के अपने दिनों को याद करते हुए सुभाष बाबू ने लिखा था, "हम भारतीयों को ये सिखाया जाता है कि यूरोप, ग्रेट ब्रिटेन का ही बड़ा स्वरूप है। इसलिए हमारी आदत यूरोप को इंग्लैंड के चश्मे से देखने की हो गई है। आज मैं निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि स्वतंत्र भारत के बाद के दशकों में अगर देश को सुभाष बाबू, सरदार पटेल जैसे व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन मिला होता, भारत को देखने के लिए वो विदेशी चश्मा नहीं होता, तो स्थितियां बहुत भिन्न होती।"

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये भी दुखद है कि एक परिवार को बड़ा बताने के लिए, देश के अनेक सपूतों, वो चाहें सरदार पटेल हों, बाबा साहेब आंबेडकर हों, उन्हीं की तरह ही, नेताजी के योगदान को भी भुलाने का प्रयास किया गया। देश का संतुलित विकास, समाज के प्रत्येक स्तर पर, प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र निर्माण का अवसर, राष्ट्र की प्रगति में उसकी भूमिका, नेताजी के वृहद विजन का हिस्सा थी।

पीएम मोदी ने कहा कि आजादी के लिए जो समर्पित हुए वो उनका सौभाग्य था, हम जैसे लोग जिन्हें ये अवसर नहीं मिला, हमारे पास देश के लिए जीने का, विकास के लिए समर्पित होने का मौका है।

पीएम मोदी ने आज मैं कह सकता हूं कि भारत अब एक ऐसी सेना के निर्माण की तरफ बढ़ रहा है, जिसका सपना नेताजी ने देखा था। जोश, जुनून और जज्बा तो हमारी सैन्य परंपरा का हिस्सा रहा ही है, अब तकनीक और आधुनिक हथियारों की शक्ति भी जुड़ रही है।

हमारी सैन्य ताकत हमेशा से आत्मरक्षा के लिए रही है और आगे भी रहेगी। हमें कभी किसी दूसरे की भूमि का लालच नहीं रहा, लेकिन भारत की संप्रभुता के लिए जो भी चुनौती बनेगा, उसको दोगुनी ताकत से जवाब मिलेगा।

प्रधानमंत्री मोदी अंडमान-निकोबार जाएंगे

बात दें कि 75 साल पहले 21 अक्टूबर 1943 के दिन सुभाष चंद्र बोस ने आजाद भारत की पहली अस्थाई सरकार बनाई थी। प्रधानमंत्री ने आज फिर झंडा फहरा कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है।

प्रधानमंत्री मोदी अंडमान-निकोबार जाएंगे और जहां सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज की यादों को सहेजा जाएगा। इस दौरान पीएम मोदी वहां सेलुलर जेल का भी निरक्षण करेंगे जहां काला पानी की सजा के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों को रखा जाता था।

इससे पहले ट्विटर पर जारी किये गए वीडियो में प्रधानमंत्री ने एलान किया था कि वो 21 अक्टूबर को नेताजी सुभाषचंद्र के आजाद हिंद फौज की 75वीं सालगिरह पर तिरंगा झंडा फहराएंगे।

इस वीडियो में प्रधानमंत्री ने ब्रिटिश हुकूमत में आजादी के लिए निर्णायक भूमिका निभाने वाले नेताओं के योगदान को भी याद किया। प्रधानमंत्री ने रोहतक के छोटूराम को भी याद किया। छोटूराम ने गुलाम भारत में पिछड़े और शोषित वर्ग के उत्थान के लिए काम किया था।

इसके अलावा पीएम ने 1817 में ईस्ट इंडिया कंपनी के अत्याचारों के खिलाफ ओड़िशा में हुए पाइका विद्रोह की भी बात की।

विद्रोह की बात करते हुए प्रधानमंत्री ने जनजातीय समुदाय के योगदान को याद करते हुए बिरसा मुंडा का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने आजादी के संघर्ष में आदिवासियों के योगदान को देखते हुए विद्रोह वाले राज्यों में स्मारक बनाने का भी एलान किया।'आजाद हिंद सरकार' की स्थापना के 75 साल पूरे होने पर PM मोदी ने लालकिले पर फहराया तिरंगा

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