भारत-रूस के बीच S-400 मिसाइल डील पर नरम पड़े अमेरिका के तेवर
- In देश 6 Oct 2018 12:06 PM IST
भारत ने रूस के साथ शुक्रवार को जब बहुचर्चित एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम डील पर मुहर लगा दी, तो रूस के साथ व्यापारिक या किसी भी तरह के संबंध रखने पर दुनिया के देशों को धमकाने वाले अमेरिका का सुर अचानक बदल गया। भारत के इस अहम रक्षा समझौते से पहले अमेरिका ने भारत को चेतावनी दी थी। लेकिन सौदा होते ही अमेरिका ने तेवर में नरमी दिखाते हुए कहा कि उसकी ओर से लगाए जानेवाले प्रतिबंध वास्तव में रूस को दंडित करने के लिए हैं।
बता दें कि भारत-रूस रक्षा सौदे के कुछ घंटों बाद ही अमेरिकी दूतावास ने बयान जारी किया। नई दिल्ली स्थित दूतावास ने कहा कि अमेरिकी प्रतिबंधों का मकसद हमारे सहयोगी देशों की सैन्य क्षमताओं को नुकसान पहुंचाना कतई नहीं है।
भारत पर अमेरिका नरम क्यों?
रूस से एस-400 सिस्टम खरीदने पर अमेरिका ने चीन पर प्रतिबंध लगाए थे। लेकिन अमेरिका भारत पर प्रतिबंध लगाने की स्थिति में नहीं है। क्योंकि चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए अमेरिका भारत के साथ नजदीकी रिश्ते कायम करना चाहता है।
यह सौदा अमेरिका के लिए झटका
भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता अमेरिका है जबकि इस मामले में पहले नंबर पर रूस आता है। यह नया समझौता रूस के लिए बड़ी जीत और अमेरिका के लिए झटका है।
भारत को कितने एस-400 की जरूरत
चीन और पाकिस्तान के संभावित खतरों को देखते हुए एस-400 सिस्टम काफी जरूरी है। एयरफोर्स चीफ ने भी कहा था कि एस-400 और फ्रांस से खरीदे गए 36 रफाल फाइटर जेटों से देश की सैन्य क्षमता मजबूत होगी।
भारत ने अमेरिका को दिया संदेश
भारत-रूस डील पर अमेरिका के लिए संदेश भी छिपा है। भारत ने जता दिया है कि उसके लिए हर साथी अहम है। वो किसी एक देश के कारण अपने किसी सहयोगी से रिश्ते नहीं बिगाड़ेगा।
एस-400 सबसे एडवांस सिस्टम
यह एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम दुश्मन के एयरक्राफ्ट को गिरा सकता है। ये रूस का सबसे एडवांस सतह से हवा तक मार करने वाला सिस्टम है। यह दुश्मन के क्रूज, एयरक्राफ्ट और बैलिस्टिक मिसाइलों को गिराने में सक्षम है। इसे रूसी रक्षा कंपनी अल्माज-आंते ने तैयार किया है, जो रूस में 2007 के बाद से ही सेवा में है। यह एक ही राउंड में 36 हमले कर सकती है।