नहीं माने कश्मीर के पत्थरबाज तो हो जाएंगे अंधे, लौट रहा है उनसे निपटने ये 'हीरो'
- In देश 28 Feb 2017 11:48 AM IST
नई दिल्ली. केंद्र सरकार और...Public Khabar
नई दिल्ली. केंद्र सरकार और सैन्य बलों की लाख कोशिशों के बावजूद कश्मीर में पत्थरबाजों पर अंकुश नही लग पा रहा। पत्थरबाजों केव आड़ में आतंकी सैन्य बलों पर हमला कर सैनिकों को शहीद करने में लगे हैं। ऐसे में सैन्य बलों ने हाल ही में उनका कल बन चुके हथियार को वापस मॉडिफाइड रूप में वपास लाने का फैसला किया है।
पिछले साल कश्मीर में हुए हिंसक प्रदर्शनों के दौरान इस्तेमाल की गई पेलेट बंदूकों का सेना फिर से इस्तेमाल करेगी पैरामिलिटरी फोर्सेज के अनुसार अभी प्रयोग हो रहे पावा शेल्स भी प्रदर्शनकारियों को डराने में सक्षम नहीं हैं। सीआरपीएफ के डायरेक्टर जनरल दुर्गा प्रसाद ने सोमवार को बताया कि किसी भी प्रदर्शन और सेना विरोधी अभियानों को तोड़ने के लिए पेलेट गन के एक मॉडिफाइड वर्जन का इस्तेमाल किया जाएगा।
दुर्गा प्रसाद ने बताया कि बीएसएफ की मदद से बल ने पेलेट गनों को मॉडिफाई करने का फैसला किया है, ताकि कम चोट लगे। पिछले साल जुलाई में हिजबुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में हिंसा भड़क उठी थी और प्रदर्शनकारियों पर नियंत्रण पाने के लिए सुरक्षाबलों ने पेलेट गनों का इस्तेमाल किया था। इसके कारण सैकड़ों लोग घायल हुए थे और कई लोगों को आंख में गंभीर चोटें आई थीं। जब इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए तो पेलेट गनों की जगह मिर्च वाले पावा शेल्स ने ले ली।
इस नई बंदूक में एक डिफ्लेक्टर का इस्तेमाल होगा। सीआरपीएफ ने बीएसएफ की एक खास वर्कशॉप से बंदूक की मजल पर मेटल डिफ्लेक्टर लगाने को कहा है, ताकि पेलेट में से निकलने वाले छर्रे किसी शख्स के पेट से ऊपर वार न करें। घाटी में तैनात सीआरपीएफ जवानों को प्रदर्शनकारियों के पैरों पर पेलेट गन चलाने के आदेश दिए गए हैं। एक सीआरपीएफ अधिकारी ने बताया कि हमने सैनिकों से कहा है कि वे डिफ्लेक्टर का इस्तेमाल करें और प्रदर्शनकारियों के पेट से ऊपर वार न करें। डिफ्लेक्टर से सिर्फ दो प्रतिशत चांस ही हैं कि निशाना जगह से कहीं और लग जाए।
सीआरपीएफ के मुताबिक पिछले साल हिंसा में 2,580 जवान घायल हुए थे, जिनमें से 122 की हालत बेहद गंभीर थी। सेना के शिविरों में 142 हादसे पत्थरबाजी के, 43 मामले पेट्रोल अटैक, एसिड और कैरोसीन बम के थे।