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जानिए, क्यों मैनपुरी सीट पर है विश्व स्वास्थ्य संगठन की नजर

जानिए, क्यों मैनपुरी सीट पर है विश्व स्वास्थ्य संगठन की नजर

मंगलवार यानी 23 अप्रैल को Lok...Editor

मंगलवार यानी 23 अप्रैल को Lok Sabha Election 2019 तीसरे चरण में 15 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की जिन 117 सीटों पर मतदान हो रहा है। इनमें उत्तर प्रदेश का मैनपुरी संसदीय क्षेत्र भी शामिल है। सपा के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। कहा जा सकता है कि इस सीट से मुलायम सिंह यादव के जीतने पर उनके विरोधियों को भी शायद ही कोई संदेह हो क्योंकि भाजपा और उसकी पूर्ववर्ती जनसंघ अब तक हुए 15 लोकसभा चुनावों में इस सीट से जीत हासिल नहीं कर पाई है।

बहरहाल, यह सीट दूसरी वजह से चर्चा में क्योंकि इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की भी नजर है। इसकी वजह है यहां बिकने वाला मैनपुरी तंबाकू, जिसकी वजह से लोग कैंसर का शिकार हो रहे हैं। यह तंबाकू इतना लोकप्रिय है कि पाकिस्तान भी इससे बच नहीं पाया है। दरअसल, मैनपुरी से लहसून के अलावा जिस चीज का सबसे ज्यादा निर्यात होता है वह मैनपुरी तंबाकू ही है। इसके कैंसरकारी प्रभाव के कारण पाकिस्तान ने इस पर पाबंदी लगा दी है।

मैनपुरी तंबाकू की प्रसिद्धि इतनी ज्यादा है कि बॉलीवुड की एक बी ग्रेड फिल्म `दिलरूबा तांगेवाली` में बाकायदा इस पर एक गाना भी लिखा गया था। मैनपुरी तंबाकू के अलावा इस सीट को मुलायम सिंह यादव यानी मुलायम दद्दा (बड़े भाई) के नाम से भी जाना जाता है। मुख्यधारा की मीडिया में भले ही मुलायम सिंह यादव को नेताजी के नाम से जाना जाता है लेकिन मैनपुरी में लोग उन्हें प्यार से मुलायम दद्दा ही कहते हैं। इस सीट पर चारों तरफ उनका ही असर है। इसकी झलक पिछले शुक्रवार दिखी जब वे बसपा सुप्रीमो मायावती के साथ क्रिश्चियन कॉलेज के ग्राउंड पर सभा को संबोधित करने पहुंचे। उन्होंने घोषणा की कि यह उनका अंतिम चुनाव है और जनता उन्हें जीत का तोहफा दे तो पूरी जनसभा अभिभूत हो गई।

मुलायम सिंह यादव पहली बार 1967 में मैनपुरी जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट से चुने गए थे। 1980 को छोड़कर जीत का यह सिलसिला 1993 तक चला। 1980 में उनके साथी और कांग्रेस उम्मीदवार बलराम सिंह यादव ने उन्हें इस विधानसभा सीट से शिकस्त दी थी। उसके बाद से 1996, 2004, 2009 और 2014 में वे इस सीट से लोकसभा पहुंचे। 2004 के बाद से हुए पांच चुनाव (जिनमें दो उपचुनाव भी शामिल हैं) में सपा के खिलाफ मुख्य उम्मीदवार शाक्य जाति से ही थे।

मैनपुरी लोकसभा सीट मुलायम सिंह यादव के लिए भाग्यशाली भी साबित हुई क्योंकि 1996 में पहली बार यहां से जीतने के बाद उन्हें संयुक्त मोर्चा सरकार में रक्षा मंत्री का पद मिला था। इसके बाद 1998 और 1999 में दो लोकसभा चुनावों में उन्होंने बलराम सिंह यादव के लिए यह सीट छोड़ दी थी जो तब तक कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हो चुके थे। मुलायम सिंह यादव ने 1998 में संभल और 1999 में संभल एवं फिरोजाबाद से चुनाव लड़ा और विजयी हुए। बाद में उन्होंने फिरोजाबाद सीट खाली कर दी जहां से उनके बेटे अखिलेश यादव की पहली बार लोकसभा में एंट्री हुई।

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