गोपाष्टमी की पौराणिक कथा

आप सभी को बता दें कि आज गोपाष्टमी है और आज सभी जगहों पर गाय की पूजा कर उन्हें विभिन्न भोग लगाए जाते हैं और उनसे अपनी मनोंकामना पूरी करने का वरदान माँगा जाता है. अब ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं गोपाष्टमी की पौराणिक कथा जो आपने सुनी होगी. आइए बताते हैं, कहा जाता है इस कथा को सुनने से बहुत लाभ मिलता है. तो आइए जानते हैं गोपाष्टमी की पौराणिक कथा.
गोपाष्टमी की पौराणिक कथा - एक बार बालक कृष्ण ने माँ यशोदा से गायों की सेवा करनी की इच्छा व्यक्त की कृष्ण कहते हैं कि माँ मुझे गाय चराने की अनुमति मिलनी चाहिए। उनके कहने पर शांडिल्य ऋषि द्वारा अच्छा समय देखकर उन्हें भी गाय चराने ले जाने दिया जो समय निकाला गया, वह गोपाष्टमी का शुभ दिन था। बालक कृष्ण ने गायों की पूजा करते हैं, प्रदक्षिणा करते हुए साष्टांग प्रणाम करते हैं।
आप सभी को बता दें कि गोपाष्टमी के अवसर पर गऊशालाओं व गाय पालकों के यहां जाकर गायों की पूजा अर्चना की जाती है इसके लिए दीपक, गुड़, केला, लडडू, फूल माला, गंगाजल इत्यादि वस्तुओं से इनकी पूजा की जाती है. वहीं इस दिन महिलाएं गाय से पहले श्री कृष्ण की पूजा कर गाय को तिलक लगाती हैं और गायों को हरा चारा, गुड़ इत्यादि खिलाती हैं और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. कहते हैं गोपाष्टमी पर गाय की पूजा भगवान श्री कृष्ण को बेहद प्रिय है तथा इनमें सभी देवताओं का वास माना जाता है. ऐसे में कईं स्थानों पर गोपाष्टमी के अवसर पर गायों की उपस्थिति में प्रभातफेरी सत्संग संपन्न होते हैं. कहते हैं गोपाष्टमी पर्व के उपलक्ष्य में जगह-जगह अन्नकूट भंडारे का आयोजन किया जाता है और भंडारे में श्रद्धालुओं ने अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण करते हैं.