इस मंदिर में रुक्मिणी संग पूजे जाते हैं कृष्ण भगवान...
- In जीवन-धर्म 8 Jun 2019 1:57 PM IST
महाराष्ट्र के शहर पंढरपुर में विट्ठलस्वामी यानी भगवान कृष्ण का प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मंदिर है। विट्ठल का मतलब है नटवर नागर कान्हा।
पंढरपुर सोलापुर के पास भीमा नदी के तट पर बसा शहर है। इस शहर का एक नाम पंढारी भी है। महाराष्ट्र के लोग इस शहर को भू वैकुंठ मानते हैं। यहां पर भीमा नदी को चंद्रभागा नदी के नाम से भी जाना जाता है। विट्ठल स्वामी को स्थानीय लोग प्यार से विठोबा और रुक्मिणी को रखुमाई भी कहते हैं। विठोबा के मंदिर में दर्शन के लिए सालों भर भीड़ रहती है। तकरीबन 30 घंटे दर्शन में लग जाते हैं। विठोबा के मंदिर में दो तरह के दर्शन हैं। गर्भ गृह दर्शन के अलावा समय कम हो तो मुख दर्शन भी किया जा सकता है। मंदिर के गर्भगृह में विट्ठल और रुक्मिणी की प्रतिमाएं है। यह देश का प्रमुख मंदिर है, जहां कृष्ण राधा के साथ नहीं, बल्कि अपनी पत्नी रुक्मिणी के साथ पूजे जाते हैं।
काले पत्थर की बनीं ये मूर्तियां काफी सुंदर हैं। मुख्य मंदिर का निर्माण12वीं शताब्दी में देवगिरी के यादव शासकों द्वारा कराया गया था। मंदिर का परिसर बहुत विशाल है। इसमें चारों तरफ से चार द्वार बने हैं। पंढरपुर के मुख्य मंदिर में बड़वा परिवार के ब्राह्मण पुजारी पूजा-विधान करते हैं। इस पूजा में पांच दैनिक संस्कार होते हैं। सबसे पहले, सुबह लगभग तीन बजे भगवान को जागृत करने के लिए एक आरती है, जिसे काकड आरती कहा जाता है। इसके बाद पंचामृत पूजा की जाती है। आखिरी पूजा रात्रि दस बजे होती है। इसके बाद भगवान सोने के लिए चले जाते हैं। विट्ठल स्वामी के मंदिर में संगीत की परंपरा है। मंदिर परिसर में साधक सितार लिए ईश्वर की आराधना में लीन रहते हैं। आते-जाते लोग उनके सामने श्रद्धा से सिर झुकाते हैं। पंढरपुर वारी एक वार्षिक यात्रा है, जो हिंदू महीने ज्येष्ठ और आषाढ़ के समय विट्ठल स्वामी मंदिर के लिए निकाली जाती है। इस यात्रा में शामिल होने वाले वारकरी कहलाते हैं। विठोबा के सम्मान में पंढरपुर के लिए तीर्थयात्रियों की यह यात्रा निकलती है। इस यात्रा के दौरान लाखों श्रद्धालु पंढरपुर पहुंचते हैं।
कैसे पहुंचें- यहां का नजदीकी एयरपोर्ट पुणे है। पंढरपुर रेलवे से जुड़ा है। मुंबई, पुणे आदि शहरों से यहां बस से भी जा सकते हैं। पुणे यहां से करीब 200 किलोमीटर और मुंबई 385 किलोमीटर की दूरी पर है। पंढरपुर बस स्टैंड से मंदिर का मार्ग एक किलोमीटर का है।- अनादि अनत