गुरु नानक जयंती 2024, जानिए गुरु नानक देव जी की प्रमुख शिक्षाएं
- In जीवन-धर्म 15 Nov 2024 4:36 PM IST
आज 15 नवंबर 2024 को हम गुरु नानक देव जी की जयंती का पावन पर्व श्रद्धा और धूमधाम से मना रहे हैं। गुरु नानक देव जी ने न केवल भारतीय समाज बल्कि सम्पूर्ण मानवता को अमूल्य उपदेश दिए, जो आज भी हमारे जीवन को दिशा देने में मदद करते हैं। उनकी शिक्षाएं केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामाजिक, मानसिक और नैतिक जीवन को सुधारने के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। आइए जानते हैं गुरु नानक देव जी की कुछ प्रमुख शिक्षाओं के बारे में जो हमें जीवन को बेहतर बनाने की प्रेरणा देती हैं।
1. ईश्वर की एकता का संदेश
गुरु नानक देव जी ने हमेशा भगवान की एकता और सार्वभौमिकता का उपदेश दिया। उनका प्रसिद्ध उद्घोष "एक ओंकार" (एक भगवान है) इसका प्रमाण है। उन्होंने यह बताया कि सभी धर्मों और जातियों से ऊपर एक ही परमात्मा है, जो सच्चा है और सभी के दिलों में वास करता है। उनके अनुसार, ईश्वर के नाम का सच्चा जप और विश्वास ही मोक्ष का मार्ग है।
2. मानवता और समानता
गुरु नानक जी ने समाज में फैली असमानता और भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने बताया कि सभी मनुष्य समान हैं, चाहे उनका जाति, धर्म या रंग कुछ भी हो। उनका यह संदेश आज भी समाज को एकजुट करने और भेदभाव को समाप्त करने के लिए प्रासंगिक है। उन्होंने "नारी" को भी सम्मान देने की बात की और कहा कि महिलाओं को समाज में समान अधिकार मिलना चाहिए।
3. सेवा और परोपकार का महत्व
गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन में सेवा को सर्वोपरि माना। उन्होंने हमेशा सिखाया कि हमें अपने समाज के दुखी और गरीब वर्ग के लिए काम करना चाहिए। उन्होंने "सेवा" को एक धर्म माना और "नम जपना, किरत करो, वंड छको" (नाम का स्मरण करो, ईमानदारी से काम करो और दूसरों के साथ बांटों) के सिद्धांत पर जोर दिया। उन्होंने "लंगर" की परंपरा शुरू की, जिसमें सभी लोगों को बिना भेदभाव के भोजन दिया जाता था, जिससे सेवा और परोपकार का महत्व बढ़ा।
4. सच्चाई की राह पर चलना
गुरु नानक जी ने अपने अनुयायियों को हमेशा सच्चाई का पालन करने की प्रेरणा दी। उनका मानना था कि सत्य ही भगवान है और वही आत्मा का वास्तविक मार्गदर्शक है। उन्होंने यह भी सिखाया कि इंसान को अपने कर्मों के प्रति ईमानदार और सच्चा होना चाहिए, क्योंकि "सतनाम" (सत्य का नाम) ही आत्मा को शांति और मोक्ष की ओर मार्गदर्शन करता है।
5. नम्रता और विनम्रता
गुरु नानक देव जी का जीवन नम्रता और विनम्रता का प्रतीक था। उन्होंने यह बताया कि किसी भी इंसान को घमंड और अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि "जो मुझे परखता है, वही खुद को खो बैठता है"। उनका संदेश था कि हमें अपनी सच्चाई को बिना घमंड के स्वीकार करना चाहिए और हमेशा विनम्रता से जीवन जीना चाहिए।
6. प्रभु का ध्यान और भक्ति
गुरु नानक जी ने भक्तिरस का प्रचार किया और लोगों को ईश्वर के प्रति आस्था रखने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि परमात्मा के नाम का जप और ध्यान ही जीवन की वास्तविकता है। "नाम जपना" और "ध्यान लगाना" उनकी उपदेशों में प्रमुख थे। इसके माध्यम से व्यक्ति आत्मिक शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त कर सकता है।
7. धार्मिक आडंबर और कर्मकांडों का विरोध
गुरु नानक देव जी ने धार्मिक आडंबरों और बाहरी कर्मकांडों का विरोध किया। उन्होंने धार्मिक अनुष्ठानों, मूर्तिपूजा, और अंधविश्वास को नकारा। उनका मानना था कि सच्ची भक्ति और ईश्वर के प्रति विश्वास अंदर से आना चाहिए, न कि बाहरी दिखावे से।
गुरु नानक देव जी की शिक्षाएं आज भी हमारे जीवन के लिए अत्यंत प्रासंगिक हैं। उनके द्वारा दिए गए उपदेश हमें न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि व्यक्तिगत जीवन में भी एक सकारात्मक दिशा देने में मदद करते हैं। गुरु नानक जी का संदेश हमेशा सत्य, समानता, सेवा और प्रेम के मार्ग पर चलने का था, जो आज के समाज में भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उनकी जयंती के इस विशेष अवसर पर हम उनके उपदेशों को अपनाकर एक बेहतर और समृद्ध जीवन की ओर अग्रसर हो सकते हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।