हरियाली तीज 29 जुलाई को सुहागिनें रखेंगी निर्जला व्रत, शिव-पार्वती से करेंगी अखंड सौभाग्य की कामना

हरियाली तीज 29 जुलाई को सुहागिनें रखेंगी निर्जला व्रत, शिव-पार्वती से करेंगी अखंड सौभाग्य की कामना
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सुहागिनों के लिए आस्था, सौंदर्य और श्रद्धा का पर्व

हर साल श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज का पर्व बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। वर्ष 2025 में यह पर्व 29 जुलाई, मंगलवार को पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाएगा। यह तीज नारी जीवन की आस्था, प्रेम और समर्पण की अनमोल झलक को दर्शाती है। विशेषकर विवाहित महिलाएं इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करती हैं और अपने दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि व सौभाग्य की कामना करती हैं।

शिव-पार्वती के पावन मिलन की याद

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हरियाली तीज का पर्व मां पार्वती के तप और शिवजी से उनके विवाह की कथा से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने कई वर्षों तक कठोर तपस्या कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। हरियाली तीज इसी दिव्य मिलन की स्मृति में मनाया जाता है। यही कारण है कि यह दिन स्त्रियों के लिए अखंड सौभाग्य का प्रतीक बन गया है।

निर्जला व्रत और सोलह श्रृंगार की महत्ता

हरियाली तीज के दिन शादीशुदा महिलाएं दिनभर निर्जल रहकर व्रत रखती हैं। वे सोलह श्रृंगार करती हैं, हरे वस्त्र पहनती हैं और झूला झूलने की परंपरा निभाती हैं। यह पर्व सावन की हरियाली और स्त्री सौंदर्य का सुंदर संगम होता है। महिलाएं शिव-पार्वती की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप जलाकर, व्रत कथा सुनती हैं और मन, वचन और कर्म से पूजन कर सुखी दांपत्य जीवन की प्रार्थना करती हैं।

उत्सव, भक्ति और संस्कृति का संगम

हरियाली तीज केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय नारी संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों का उत्सव भी है। इस दिन महिलाएं लोकगीत गाती हैं, पारंपरिक नृत्य करती हैं और मेहंदी रचाकर अपनी खुशी का इज़हार करती हैं। हरे रंग को इस दिन शुभ माना जाता है, जो नई ऊर्जा, हरियाली और जीवन के विस्तार का प्रतीक है।

पूजा विधि और व्रत कथा

1. सुबह स्नान कर व्रत का संकल्प लें

2. शिव-पार्वती की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं

3. श्रृंगार सामग्री अर्पित करें

4. फल, फूल, दूर्वा, मिठाई चढ़ाएं

5. तीज माता की कथा सुनें

6. रात को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करें

हरियाली तीज सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि विवाह के पवित्र रिश्ते की मजबूती, स्त्री के आत्मबल, और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है। 29 जुलाई 2025 को मनाया जाने वाला यह पर्व हर घर में प्रेम, सौहार्द और मंगलकामनाओं का संदेश लेकर आएगा।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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