संतान सुख की प्राप्ति के लिए 5 अगस्त को रखा जाएगा सावन पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए धार्मिक महत्व

संतान सुख की प्राप्ति के लिए 5 अगस्त को रखा जाएगा सावन पुत्रदा एकादशी व्रत, जानिए धार्मिक महत्व
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हिंदू पंचांग के अनुसार, 5 अगस्त 2025, सोमवार को श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को सावन पुत्रदा एकादशी का पावन व्रत मनाया जाएगा। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है, जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक आराधना करने और व्रत कथा श्रवण करने से श्रीहरि प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को संतान सुख का वरदान प्रदान करते हैं।

क्या है पुत्रदा एकादशी का महत्व?

पुत्रदा एकादशी वर्ष में दो बार आती है—एक बार श्रावण मास में और दूसरी बार पौष मास में। श्रावण मास की पुत्रदा एकादशी को विशेष इसलिए माना गया है क्योंकि यह मास स्वयं शिव और विष्णु दोनों की कृपा से भरा होता है। इस दिन व्रत करने से न केवल संतान सुख मिलता है, बल्कि जीवन में सुख-शांति और समृद्धि भी बनी रहती है।

मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस दिन पूर्ण निष्ठा के साथ व्रत रखकर भगवान विष्णु का पूजन करता है और पुत्रदा एकादशी व्रत कथा सुनता है, उसके सभी पाप नष्ट होते हैं और वंश वृद्धि में आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं।

पूजा विधि और नियम

1. प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।

2. घर या मंदिर में श्रीहरि विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित कर विधिवत पूजा करें।

3. पीले पुष्प, तुलसी दल, पीले फल और पंचामृत से भगवान विष्णु को अर्पित करें।

4. व्रत कथा का श्रवण करें या स्वयं पढ़ें।

5. इस दिन ब्राह्मणों को दान देना, अन्न या वस्त्र दान करना विशेष पुण्यदायी होता है।

6. रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन करने से व्रत का पूर्ण फल प्राप्त होता है।

पुत्रदा एकादशी व्रत कथा का महत्व

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एक बार भद्रवती नगरी के राजा सुकुमार की कोई संतान नहीं थी। संतान की प्राप्ति हेतु उन्होंने महर्षियों से सलाह लेकर पुत्रदा एकादशी का व्रत किया। भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें योग्य और तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति हुई। तभी से इस एकादशी को "पुत्रदा" कहा गया, जो संतान की चाहत रखने वालों के लिए वरदान के समान मानी जाती है।

श्रीहरि की भक्ति से संतान सुख और जीवन में संतुलन

सावन पुत्रदा एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से पवित्र है, बल्कि यह मानसिक और पारिवारिक शांति के लिए भी अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। यदि आप संतान प्राप्ति की कामना रखते हैं या जीवन में सौभाग्य और वंशवृद्धि की चाह रखते हैं, तो इस एकादशी व्रत को जरूर करें। भगवान विष्णु की कृपा से आपकी हर प्रार्थना पूरी हो सकती है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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