23 अगस्त को मनाई जाएगी भाद्रपद अमावस्या, जानें स्नान-दान और पूजा का शुभ समय

भाद्रपद अमावस्या का धार्मिक महत्व
सनातन धर्म में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। इसे पितरों को तर्पण अर्पित करने, पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
तिथि और समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष भाद्रपद अमावस्या तिथि का आरंभ 22 अगस्त 2025, शुक्रवार को दिन में 11 बजकर 55 मिनट पर होगा और इसका समापन 23 अगस्त 2025, शनिवार को दिन में 11 बजकर 35 मिनट पर होगा। उदयातिथि के अनुसार भाद्रपद अमावस्या 23 अगस्त को मनाई जाएगी। वहीं, दर्श अमावस्या 22 अगस्त को रहेगी।
पवित्र स्नान और दान का महत्व
भाद्रपद अमावस्या पर प्रातःकाल पवित्र नदियों, सरोवरों या तीर्थस्थलों में स्नान करने की परंपरा है। स्नान के बाद तिल, वस्त्र, अनाज, भोजन और दक्षिणा का दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन से नकारात्मकता दूर होती है।
विशेष पूजा विधि
इस दिन पितरों के लिए जल, तिल, पुष्प और पके हुए अन्न से तर्पण किया जाता है। साथ ही, भगवान विष्णु और शिवजी की पूजा करना शुभ माना जाता है। शाम को दीपदान करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और परिवार के सदस्यों की आयु और सौभाग्य में वृद्धि होती है।
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