चैत्र पूर्णिमा 2025: 12 अप्रैल को है साल की पहली पूर्णिमा, जानिए धार्मिक महत्व और इस दिन के विशेष अनुष्ठान

चैत्र पूर्णिमा 2025: 12 अप्रैल को है साल की पहली पूर्णिमा, जानिए धार्मिक महत्व और इस दिन के विशेष अनुष्ठान
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हिंदू पंचांग के अनुसार, साल 2025 की पहली पूर्णिमा तिथि इस बार 12 अप्रैल, शनिवार को पड़ रही है। इस दिन को चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है, जो न केवल धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखती है, बल्कि यह दिन व्रत, दान और स्नान जैसे पुण्य कर्मों के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है। चैत्र मास की पूर्णिमा को ही हनुमान जयंती भी मनाई जाती है, जिससे इस दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है।

चैत्र पूर्णिमा: नए संवत्सर की पहली पूर्णिमा

हिंदू कैलेंडर का पहला महीना चैत्र होता है और इसी महीने की पूर्णिमा तिथि से साल की पूर्णिमा श्रृंखला की शुरुआत होती है। इसलिए इसे एक शुभारंभ की पूर्णिमा भी कहा जाता है। यह दिन आत्मशुद्धि, पुण्य अर्जन और प्रभु आराधना का प्रतीक होता है। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा पर किया गया स्नान, जप, हवन और दान कई गुना पुण्य फल प्रदान करता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना, विशेषकर गंगा, यमुना या सरयू जैसे तीर्थ स्थलों पर, बेहद शुभ माना जाता है।

धार्मिक अनुष्ठानों और व्रत का महत्व

चैत्र पूर्णिमा के दिन भक्त विशेष रूप से व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा करते हैं। इस दिन हनुमान जयंती होने के कारण मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ, सुंदरकांड पाठ, हनुमान चालीसा पाठ और भंडारा आयोजन होते हैं। व्रतधारी दिनभर उपवास रखते हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करते हैं।

इस तिथि पर सत्यनारायण व्रत कथा का आयोजन भी शुभ माना जाता है, जिसमें परिवार के लोग एकत्र होकर भगवान विष्णु की कथा श्रवण करते हैं। यह व्रत पारिवारिक सुख-शांति, धन-धान्य और स्वास्थ्य की कामना से किया जाता है।

आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यंत फलदायक

चैत्र पूर्णिमा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टि से भी बहुत प्रभावशाली मानी जाती है। योग और ध्यान से जुड़े साधक इस दिन विशेष साधनाओं का अभ्यास करते हैं, क्योंकि पूर्णिमा की रात्रि को चंद्रमा की ऊर्जा अत्यंत बलवान मानी जाती है, जो मन और चित्त को स्थिर करने में सहायक होती है। इसी कारण इस दिन को ध्यान, मंत्र जाप और ध्यान साधना के लिए सर्वोत्तम समय माना गया है।

पुण्य लाभ और आध्यात्मिक उन्नति का दिन

चैत्र पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, बल्कि आत्मविकास, श्रद्धा और संतुलन का पर्व है। यह दिन हमें जीवन में संयम, साधना और सेवा के महत्व का बोध कराता है। यदि श्रद्धा और संकल्प के साथ इस दिन पूजा-पाठ और व्रत किया जाए, तो यह वर्षभर सुख, शांति और समृद्धि का कारण बन सकता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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