5 अगस्त को मनाई जाएगी दामोदर द्वादशी, भगवान विष्णु की कृपा पाने का पावन अवसर

5 अगस्त को मनाई जाएगी दामोदर द्वादशी, भगवान विष्णु की कृपा पाने का पावन अवसर
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5 अगस्त 2025 को श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि के अवसर पर दामोदर द्वादशी का पर्व मनाया जाएगा। यह दिन भगवान श्रीहरि विष्णु को समर्पित होता है और श्रद्धालुओं के लिए ईश कृपा पाने का सुनहरा अवसर माना जाता है।

हिंदू धर्म में द्वादशी तिथि का विशेष महत्व है और जब यह दिन सावन मास के दौरान आता है, तो इसका प्रभाव और भी पुण्यदायक हो जाता है। इस दिन व्रत, उपवास और भगवान विष्णु की आराधना से व्यक्ति को न केवल सांसारिक सुख प्राप्त होते हैं, बल्कि मोक्ष मार्ग भी सुगम होता है।

कौन हैं दामोदर और क्यों मनाई जाती है द्वादशी?

"दामोदर" भगवान विष्णु का एक विशेष नाम है, जो उनके बाल स्वरूप श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है। यह नाम उस घटना की याद दिलाता है जब माता यशोदा ने नटखट कृष्ण को ऊखल से बांध दिया था — दाम (रस्सी) और उदर (कमर) से, इसलिए उन्हें दामोदर कहा गया।

दामोदर द्वादशी का पर्व हमें भगवान के कोमल, दयालु और प्रेममयी स्वरूप की याद दिलाता है। इस दिन व्रत और पूजन करने से हमारे अंदर भक्ति, संयम और विनम्रता जैसे गुणों का विकास होता है।

दामोदर द्वादशी की पूजा विधि और विशेष नियम

इस दिन प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें और संकल्प लें कि आप पूरे दिन व्रत रखेंगे। घर या मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीपक जलाएं, तुलसी दल अर्पित करें और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” या “ॐ दामोदराय नमः” मंत्र का जाप करें।

पंचामृत से अभिषेक करने के बाद पीले फूल, तुलसी पत्र, फल और नैवेद्य अर्पित करें। दिनभर भजन-कीर्तन करें और व्रत कथा श्रवण करें। संध्या काल में भगवान की आरती कर प्रसाद वितरण करें।

दामोदर द्वादशी का महत्व और लाभ

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की आराधना करता है, उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत खासकर संतान सुख, मानसिक शांति और जीवन में स्थायित्व की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

इस दिन किए गए व्रत का फल कई जन्मों के पुण्य के बराबर माना गया है। यह तिथि परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए भी अत्यंत शुभ मानी जाती है।

आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है दामोदर द्वादशी का दिन

5 अगस्त को मनाई जा रही दामोदर द्वादशी न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारे जीवन को ईश्वर के प्रति समर्पित करने का सशक्त माध्यम भी है। भगवान विष्णु की कृपा से जीवन में संतुलन, शांति और सुख का वास होता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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