कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025: आध्यात्मिक श्रद्धा और साहस की प्रतीक यात्रा आज से प्रारंभ

हिमालय की गोद में स्थित पवित्र कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की यात्रा को सनातन धर्म में एक दिव्य तीर्थ माना गया है। 2025 की कैलाश मानसरोवर यात्रा का शुभारंभ आज से हो गया है, और इसके साथ ही एक बार फिर हजारों श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन के लिए कठिन लेकिन पावन मार्ग पर निकल पड़े हैं। यह यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक आत्मिक साधना का मार्ग है, जहां श्रद्धालु कठिन परिस्थितियों में भी अटूट आस्था के साथ अपने आराध्य की ओर अग्रसर होते हैं।
पौराणिक मान्यता और दिव्यता से ओतप्रोत यात्रा
कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना गया है और मानसरोवर झील को ब्रह्मा जी द्वारा निर्मित बताया गया है। यह स्थान तिब्बत में स्थित है, और यहां पहुंचना किसी तपस्या से कम नहीं होता। हिन्दू धर्म ही नहीं, जैन, बौद्ध और बोन धर्म के अनुयायी भी इस स्थल को अत्यंत पवित्र मानते हैं। मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु इस यात्रा को पूर्ण करता है, उसके जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
यात्रा मार्ग और विशेष सुरक्षा व्यवस्थाएं
कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए भारत सरकार द्वारा दो प्रमुख मार्गों से यात्रा संचालित की जाती है—उत्तराखंड स्थित लिपुलेख दर्रा और सिक्किम मार्ग। तीव्र ऊंचाई, ठंडी हवाएं और कठिन रास्तों के बावजूद हर साल हजारों यात्री इस पवित्र यात्रा में भाग लेते हैं। सरकार की ओर से यात्रियों के स्वास्थ्य परीक्षण, रहने, खाने और चिकित्सा की विशेष व्यवस्थाएं की जाती हैं, जिससे वे सुरक्षित तरीके से इस कठिनाई भरे सफर को पूर्ण कर सकें।
तीर्थ नहीं, यह है आत्मशुद्धि का अवसर
यह यात्रा न केवल शरीर की परीक्षा है, बल्कि आत्मा की भी। यहां पहुंचकर श्रद्धालु मानसिक, शारीरिक और आत्मिक स्तर पर परिपक्वता की अनुभूति करते हैं। कैलाश पर्वत की परिक्रमा, जिसे ‘कोरला’ कहा जाता है, और मानसरोवर में स्नान—इन दोनों को अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। कहा जाता है कि इस तीर्थ के दर्शन मात्र से ही जन्म-जन्मांतर के बंधन टूट जाते हैं और व्यक्ति मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
आज से आरंभ हुई कैलाश मानसरोवर यात्रा 2025 केवल एक यात्रा नहीं, बल्कि आस्था, समर्पण और तप की पराकाष्ठा है। यह वो मार्ग है जो शरीर को थकाता जरूर है, लेकिन आत्मा को ऊर्जा से भर देता है। जो भी श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं, वे केवल एक तीर्थ की ओर नहीं, बल्कि अपने भीतर के शिवत्व की खोज में निकल पड़े हैं।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।