करवा चौथ 2025: सुहागिनों का अखंड सौभाग्य का पर्व, इस बार होगा 14 घंटे का निर्जला व्रत

करवा चौथ 2025: सुहागिनों का अखंड सौभाग्य का पर्व, इस बार होगा 14 घंटे का निर्जला व्रत
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करवा चौथ का महत्व और परंपरा

हिंदू धर्म में करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए दिनभर निर्जला व्रत करती हैं। करवा चौथ केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत बनाने का अवसर भी माना जाता है।

14 घंटे का कठोर निर्जला व्रत

इस वर्ष करवा चौथ पर महिलाओं को लगभग 14 घंटे तक बिना अन्न और जल के रहना होगा। व्रत की शुरुआत सूर्योदय से पहले सरगी खाने के बाद होती है और चांद निकलने पर ही इसका समापन किया जाता है। महिलाएं इस पूरे समय न केवल भोजन और पानी का त्याग करती हैं, बल्कि पूरे दिन व्रत का पालन दृढ़ संकल्प और आस्था के साथ करती हैं।

पूजा विधि और परंपराएं

करवा चौथ की शाम को सुहागिनें सजधज कर पारंपरिक परिधान पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। इसके बाद वे करवा माता और भगवान शिव-पार्वती की पूजा करती हैं। पूजा के दौरान करवे में जल भरकर कथा सुनाई जाती है और फिर चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित कर व्रत खोला जाता है। इस दौरान पति अपनी पत्नी को जल पिलाकर व्रत संपन्न कराते हैं।

पति-पत्नी के रिश्ते को गहराई देने वाला पर्व

करवा चौथ न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि यह वैवाहिक जीवन में प्रेम, विश्वास और समर्पण को और गहरा करता है। इस दिन पति-पत्नी के बीच भावनात्मक जुड़ाव और अधिक मजबूत हो जाता है। यही कारण है कि यह व्रत भारतीय समाज में वैवाहिक जीवन की खुशहाली का प्रतीक माना जाता है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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