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शादी के लिए शुभ मुहूर्त का महत्व, देवउठनी एकादशी से शुरू होते हैं विवाह के उत्तम समय

शादी के लिए शुभ मुहूर्त का महत्व, देवउठनी एकादशी से शुरू होते हैं विवाह के उत्तम समय

सनातन धर्म में विवाह जैसे...PS

सनातन धर्म में विवाह जैसे महत्वपूर्ण संस्कारों के लिए शुभ मुहूर्त का होना अत्यंत आवश्यक माना जाता है। विश्वास है कि यदि विवाह अशुभ मुहूर्त में संपन्न होता है, तो दांपत्य जीवन में अनचाही समस्याएँ और परेशानियाँ उत्पन्न हो सकती हैं। यही कारण है कि शादी की तारीख तय करने से पहले ज्योतिषियों की सलाह लेकर ही शुभ मुहूर्त का चुनाव किया जाता है।


हर साल देवउठनी एकादशी के दिन शुभ मुहूर्तों की शुरुआत होती है, जो इस वर्ष 12 नवंबर को पड़ रही है। यह दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की लंबी योग निद्रा से जागते हैं। इस दिन से शुरू होने वाले विवाह के मुहूर्तों का पालन सनातन धर्म में बहुत श्रद्धा के साथ किया जाता है।


शादी के मुहूर्त का महत्व

विवाह एक पवित्र और जीवन भर का संकल्प होता है। भारतीय परंपरा में इसे एक धार्मिक कर्तव्य के रूप में देखा जाता है, और इस संस्कार को सही समय पर संपन्न करना जरूरी माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को शुभ और सामर्थ्यपूर्ण मुहूर्त में करने से कार्य में सफलता, सुख, और समृद्धि मिलती है। विवाह को लेकर भी यही मान्यता है, जहां शुभ मुहूर्त में विवाह करने से दांपत्य जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण रहता है।


देवउठनी एकादशी का महत्व

देवउठनी एकादशी का दिन भगवान विष्णु के जागने का दिन माना जाता है। यह दिन कार्तिक माह की शुक्ल एकादशी को आता है, जो 12 नवंबर 2024 को है। चार महीने तक भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं, और इस दौरान कोई भी शुभ कार्य, खासकर विवाह, नहीं किए जाते। लेकिन देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागने के साथ ही शुभ मुहूर्तों का दौर शुरू हो जाता है, और विवाह जैसे संस्कार संपन्न किए जा सकते हैं।


यह दिन विशेष रूप से एक नए जीवन की शुरुआत के रूप में माना जाता है, क्योंकि भगवान विष्णु के जागने के साथ ही संसार में नये कार्यों की शुरुआत होती है। इसे लेकर लोग विशेष पूजा अर्चना करते हैं और विवाह के लिए इस दिन को शुभ मानते हैं।


विवाह के लिए शुभ मुहूर्त की तलाश

देवउठनी एकादशी से लेकर मकर संक्रांति तक विवाह के कई शुभ मुहूर्त आते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, इन मुहूर्तों में विवाह करना अत्यंत लाभकारी होता है। इस दौरान विवाह से जुड़े सभी कार्य सुगमता से संपन्न होते हैं और जीवन में आने वाली चुनौतियाँ कम होती हैं।


देवउठनी एकादशी से प्रारंभ होने वाले इस शुभ समय का लाभ उठाकर कई लोग विवाह की तारीख तय करते हैं। इस दिन के बाद, विवाह के अन्य शुभ अवसरों की शुरुआत होती है, जो पूरे साल तक जारी रहते हैं।


देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागने के साथ ही विवाह के लिए शुभ मुहूर्तों की शुरुआत होती है। इस दिन से लेकर अन्य शुभ मुहूर्तों में विवाह करना सनातन धर्म के अनुसार लाभकारी होता है। इसलिए, शादी की तारीख तय करने से पहले ज्योतिषी से मिलकर शुभ समय का चयन करना और इस समय का पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि जीवन भर का रिश्ता सुखी और समृद्ध बना रहे।


यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।


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