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इसलिए आवश्यक है दर्शन के बाद मंदिर की परिक्रमा करना

इसलिए आवश्यक है दर्शन के बाद मंदिर की परिक्रमा करना

आमतौर पर हमें यही देखने को...Anonymous

आमतौर पर हमें यही देखने को मिलता है कि जब भी हम किसी धार्मिक स्थान या फिर किसी मंदिर में जाते हैं तो वहां पर यही देखने को मिलता है कि भगवान के दर्शन करने के बाद लोग उस मंदिर की परिक्रमा करने लग जाते हैं. क्या आपने कभी इस बारे में सोंचा है कि आखिर क्यों मंदिरों कि परिक्रमा कि जाती है.


क्या मंदिर की परिक्रमा करने पर वास्तव मे हमे लाभ प्राप्त होता हैं. यह विधि-विधान कोई आज से नही बल्कि आदिकाल से चले आ रहा है. जहां ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मंदिर कि प्ररिक्रमा करना उचित माना गया है तो वहीं वैज्ञानिक भी परिक्रमा के फायदे से भलिभांति परिचित हैं. आज हम आपसे मंदिरों में होने वाली परिक्रमा के बारे में ही चर्चा करने वाले हैं.
यूं तो हम मानते ही हैं कि प्रत्येक धार्मिक स्थल का वातावरण काफी सुखद होता है, लेकिन इसे हम मात्र श्रद्धा का नाम देते हैं. किंतु वैज्ञानिकों ने इस बात को काफी विस्तार से समझा एवं समझाया भी है. उनके अनुसार एक धार्मिक स्थल अपने भीतर कुछ ऊर्जा से लैस होता है, यह ऊर्जा मंत्रों एवं धार्मिक उपदेशों के उच्चारण से पैदा होती है. यही कारण है कि किसी भी धार्मिक स्थल पर जाकर मानसिक शांति मिलती है.
वहीं, धार्मिक मान्यता के अनुसार जब गणेश और कार्तिक के बीच संसार का चक्कर लगाने की प्रतिस्पर्धा चल रही थी तब गणेश जी ने अपनी चतुराई से पिता शिव और माता पार्वती के तीन चक्कर लगाए थे. इसी वजह से लोग भी पूजा के बाद संसार के निर्माता के चक्कर लगाते हैं. उनके अनुसार ऐसा करने से धन-समृद्धि होती हैं और जीवन में खुशियां बनी रहती हैं.

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