परिवर्तिनी एकादशी 2025: 3 सितंबर को रखें व्रत, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और विधि

परिवर्तिनी एकादशी 2025: तिथि और महत्व
हिंदू पंचांग में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इसे जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस बार यह पावन तिथि 3 सितंबर 2025, बुधवार को पड़ेगी। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में करवट बदलते हैं और इसी कारण इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। इस व्रत को करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
तिथि और समय
पंचांग के अनुसार भाद्रपद शुक्ल एकादशी तिथि का आरंभ 3 सितंबर 2025 को सुबह 3 बजकर 53 मिनट पर होगा और इसका समापन 4 सितंबर 2025 को सुबह 4 बजकर 21 मिनट पर होगा। चूंकि पूरे दिन 3 सितंबर को एकादशी तिथि रहेगी, इसलिए इसी दिन व्रत करना शुभ और फलदायी होगा।
व्रत का महत्व
परिवर्तिनी एकादशी को भगवान विष्णु के अनन्य भक्त व्रत और उपवास रखते हैं। मान्यता है कि इस दिन उपवास करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके अलावा यह व्रत व्यक्ति को समृद्धि, सुख और स्वस्थ जीवन प्रदान करता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि इस व्रत का पालन करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है।
व्रत विधि और पूजन
इस दिन प्रातः स्नान कर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। घर में पवित्र दीपक जलाकर तुलसी दल, पंचामृत, धूप-दीप और पुष्प अर्पित करने की परंपरा है। व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं और रात में जागरण कर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं। अगले दिन प्रातः काल ब्राह्मण को भोजन कराकर दान देने के बाद ही व्रत का समापन किया जाता है।
3 सितंबर 2025 को परिवर्तिनी एकादशी व्रत का दिन विशेष महत्व रखता है। इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। साथ ही यह तिथि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत पुण्यदायी मानी जाती है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।