रक्षाबंधन 9 अगस्त 2025: भाई-बहन के पवित्र रिश्ते का प्रतीक, प्रेम और वचनबद्धता का पर्व

साल 2025 में रक्षाबंधन का पर्व पूरे देश में 9 अगस्त, शुक्रवार को श्रद्धा, प्रेम और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। यह विशेष दिन भाई-बहन के रिश्ते की मिठास, जिम्मेदारी और आपसी विश्वास को और मजबूत करता है। रक्षाबंधन भारतीय संस्कृति में केवल एक पर्व नहीं, बल्कि भावनाओं, परंपरा और पारिवारिक जुड़ाव का प्रतीक बन चुका है।
इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रंग-बिरंगे धागे यानी रक्षा सूत्र बांधती हैं। यह धागा प्रतीक होता है उस अटूट विश्वास और सुरक्षा के वचन का, जो भाई अपनी बहन को जीवन भर निभाने का वादा करता है। राखी में केवल रेशम की डोरी नहीं बंधती, बल्कि उससे जुड़ते हैं बचपन की यादें, भरोसे की बातें और भावनाओं की अनकही गहराई।
परंपरा जो जोड़ती है रिश्तों को
रक्षाबंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों में भी इस पर्व का वर्णन मिलता है, जहां रक्षा सूत्र को सुरक्षा और विजय का प्रतीक माना गया है। रक्षाबंधन पर बहनें व्रत रखकर पहले भगवान से अपने भाई की लंबी उम्र और सुख-शांति की कामना करती हैं और फिर उसे तिलक कर, मिठाई खिलाकर राखी बांधती हैं।
बदले में भाई अपनी बहन को उपहार देकर यह वचन देता है कि वह जीवन भर उसकी रक्षा करेगा—सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक स्तर पर भी। यही वचन रक्षाबंधन की आत्मा है।
पारिवारिक सौहार्द और मेलजोल का उत्सव
रक्षाबंधन सिर्फ भाई-बहन तक सीमित नहीं है। यह पर्व पूरे परिवार को एक साथ आने, पुराने मतभेद मिटाने और रिश्तों में प्रेम घोलने का अवसर देता है। इस दिन न केवल सगे भाई-बहन बल्कि चचेरे, ममेरे, मुंहबोले रिश्तों में भी राखी बांधने की परंपरा है। इससे यह पर्व सामाजिक और भावनात्मक जुड़ाव को और गहरा करता है।
त्योहार के इस अवसर पर घरों में विशेष पकवान, मिठाइयाँ और सजावट होती है। कई परिवारों में यह दिन एक पारिवारिक पुनर्मिलन की तरह होता है, जहां शहरों से लौटे भाई-बहन एक साथ बैठकर अपने बचपन को फिर से जीते हैं।
प्रेम, सुरक्षा और समर्पण का धागा
9 अगस्त 2025 को मनाया जाने वाला रक्षाबंधन रिश्तों की डोर को और भी मजबूत कर जाएगा। यह पर्व याद दिलाता है कि दुनिया चाहे जितनी बदल जाए, भाई-बहन का रिश्ता आज भी उतना ही पवित्र, स्नेहिल और विश्वास से भरा हुआ है जितना सदियों पहले था। रक्षा सूत्र की यह डोरी केवल कलाई पर नहीं, दिलों से बंधती है—जो हर परिस्थिति में साथ निभाने का संकल्प देती है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।