संध्याकाल में पूजा का सर्वोत्तम समय कौन सा है? जानिए धार्मिक मान्यताओं और लाभों के साथ

हिंदू धर्म में समय का चयन पूजा के प्रभाव और फल दोनों पर गहरा प्रभाव डालता है। जहां सुबह का ब्रह्म मुहूर्त तप और ध्यान के लिए उत्तम माना गया है, वहीं संध्याकाल को देवी-देवताओं की आराधना के लिए विशेष और अत्यंत शुभ समय कहा गया है। इस समय की विशेषता यह है कि यह दिन और रात के मिलन का क्षण होता है—जब प्रकृति शांत होती है, वातावरण पवित्र और ऊर्जा से भरा होता है। ऐसे में संध्या में की गई पूजा न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
कब होता है संध्याकाल और क्यों है यह समय विशेष?
धार्मिक ग्रंथों और ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, सूर्यास्त से पहले का एक घंटा और सूर्यास्त के बाद का एक घंटा मिलाकर संध्याकाल माना जाता है। इस समय को दिन के तीन महत्वपूर्ण पहरों में से एक कहा गया है, जहां प्रकृति खुद भी परिवर्तन के भाव में होती है। संध्याकाल में वातावरण में सात्त्विक ऊर्जा प्रबल होती है, जो पूजा, मंत्र जाप और ध्यान के लिए आदर्श मानी जाती है। यही कारण है कि ऋषि-मुनियों से लेकर गृहस्थ तक, सभी संध्या वंदन को अपने जीवन का अहम हिस्सा मानते थे।
किस देवता की पूजा संध्याकाल में होती है सबसे उत्तम?
संध्याकाल में भगवान शिव, माता लक्ष्मी और सूर्यदेव की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है। सूर्यास्त के समय शिवलिंग पर जल अर्पण, दीप जलाकर लक्ष्मी का पूजन, या सूर्य के अस्त होते समय अर्घ्य देना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। इसके अलावा, तुलसी के पौधे के समक्ष दीपक लगाना भी संध्या पूजा का अभिन्न हिस्सा है, जो घर में सकारात्मक ऊर्जा और लक्ष्मी का वास बनाए रखता है।
संध्या पूजा का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व
संध्या में की गई पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी लाभकारी होती है। इस समय हमारे मन-मस्तिष्क की तरंगें एक विशेष लय में होती हैं, जो ध्यान और प्रार्थना को अधिक प्रभावशाली बनाती हैं। दीपक की लौ और घंटी की ध्वनि वातावरण को शुद्ध करने में मदद करती है, जिससे तनाव और नकारात्मकता दूर होती है। संध्या वंदन, गायत्री मंत्र और आरती से मन स्थिर होता है और आत्मा को शांति मिलती है।
संध्याकाल केवल दिन का एक भाग नहीं, बल्कि एक दिव्य अवसर है जब आत्मा और परमात्मा के बीच संवाद सहजता से स्थापित होता है। इस समय की गई पूजा व्यक्ति को न केवल पवित्र बनाती है, बल्कि उसके चारों ओर एक सुरक्षात्मक ऊर्जा का आवरण भी तैयार करती है। इसलिए, यदि आप दिनभर के कार्यों के बाद कुछ क्षण ईश्वर को समर्पित करना चाहते हैं, तो संध्या पूजा आपके लिए सर्वोत्तम माध्यम है।
यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।