14 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे चार शुभ संयोग, सावन सोमवार संग गणपति पूजन का मिलेगा दोगुना लाभ

14 जुलाई को संकष्टी चतुर्थी पर बन रहे चार शुभ संयोग, सावन सोमवार संग गणपति पूजन का मिलेगा दोगुना लाभ
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हिंदू धर्म में प्रत्येक तिथि और वार का विशेष धार्मिक महत्व होता है। ऐसे ही विशेष पर्वों में से एक है संकष्टी चतुर्थी, जो हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान श्रीगणेश को समर्पित होता है और श्रद्धालु इस दिन कष्टों के निवारण, परिवार की सुख-समृद्धि, और मनोकामना पूर्ति के लिए व्रत और पूजा करते हैं।

इस वर्ष सावन मास की संकष्टी चतुर्थी 14 जुलाई 2025, सोमवार को पड़ रही है, जो इस बार कई विशेषताओं के कारण अत्यंत शुभ मानी जा रही है। इस दिन एक नहीं, बल्कि चार विशेष शुभ योगों का संयोग बन रहा है, जिससे इस तिथि का महत्व और बढ़ गया है।

14 जुलाई को बन रहे हैं ये 4 शुभ योग

इस बार की संकष्टी चतुर्थी के दिन सावन सोमवार भी है, जो भगवान शिव की पूजा का सबसे पवित्र दिन होता है। इसके अलावा ज्योतिषाचार्य आचार्य आनंद भारद्वाज के अनुसार, इस दिन चार खास योग बन रहे हैं:

* आयुष्मान योग – यह योग दीर्घायु, स्वास्थ्य और ऊर्जा प्रदान करता है।

* सौभाग्य योग – दांपत्य सुख और गृहस्थ जीवन में सौहार्द लाता है।

* धनिष्ठा नक्षत्र – यह नक्षत्र धन-संपत्ति और यश में वृद्धि करने वाला माना जाता है।

* शतभिषा नक्षत्र – यह रोग नाशक और मानसिक शांति देने वाला नक्षत्र है।

इन शुभ संयोगों के कारण 14 जुलाई को किया गया गणपति पूजन अधिक फलदायी और प्रभावशाली माना जा रहा है।

गणपति पूजन और व्रत की विधि

इस दिन श्रद्धालु सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हैं। फिर मिट्टी या धातु के गणपति की प्रतिमा स्थापित कर दूर्वा, लाल फूल, मोदक, सिंदूर और पंचामृत से पूजन किया जाता है।

🔹 “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का जाप करें।

🔹 गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें।

🔹 रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का समापन करें।

क्यों मनाई जाती है संकष्टी चतुर्थी?

संकष्टी शब्द का अर्थ है – संकट का अंत करने वाली। मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की आराधना करने से जीवन के सभी प्रकार के कष्ट, विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं। खासकर संतान सुख, मानसिक शांति, व्यापार में सफलता और पारिवारिक सुख के लिए यह व्रत अत्यंत प्रभावशाली होता है।

सावन मास में इसका महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि इस माह को शिव उपासना के लिए श्रेष्ठ माना जाता है और गणेश जी को शिव का प्रथम प्रिय पुत्र भी माना गया है। अतः इस दिन शिव और गणपति दोनों की कृपा प्राप्त की जा सकती है।

14 जुलाई को करें श्रीगणेश की आराधना, बनते योग कर देंगे जीवन के संकटों का अंत

14 जुलाई 2025 की संकष्टी चतुर्थी एक विशेष अवसर है जब सावन का पुण्यकाल, शिव का प्रिय सोमवार, और चार शुभ योग एक साथ पड़ रहे हैं। इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से गणेश जी की आराधना करें, व्रत रखें और रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें। इससे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, संकटों से मुक्ति और समृद्धि का संचार अवश्य होगा।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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