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सावन सोमवार पर क्यों चढ़ाते हैं शिव को जल? जानें इस परंपरा का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व

सावन सोमवार पर क्यों चढ़ाते हैं शिव को जल? जानें इस परंपरा का आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व
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श्रावण मास को भगवान शिव की आराधना का सर्वोत्तम समय माना गया है। विशेषकर सोमवार का दिन इस महीने में शिव भक्ति के लिए अत्यंत शुभ और फलदायक होता है। मान्यता है कि सावन के सोमवार को भगवान शिव पर जल, दूध, बेलपत्र और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन के संकट दूर हो जाते हैं।

क्यों है सावन सोमवार का विशेष महत्व?

सावन माह में भगवान शिव ने समुद्र मंथन के समय कालकूट विष को ग्रहण किया था। इससे उनकी देह में अग्नि का संचार हुआ, जिसे शांत करने के लिए देवताओं ने गंगाजल और ठंडे जल से उनका अभिषेक किया। तभी से श्रावण के महीने में विशेषकर सोमवार को शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। यह दिन शिव भक्तों के लिए भक्ति, आस्था और तपस्या का प्रतीक बन गया है।

शिव पर जल अर्पित करने की विधि

सावन सोमवार के दिन शिव मंदिर जाकर या घर पर शिवलिंग की स्थापना कर भक्त निम्नलिखित विधि से पूजन करते हैं:

🔹 सबसे पहले स्वच्छ जल से शिवलिंग का अभिषेक करें।

🔹 इसके बाद दूध, शहद, दही, घी और शुद्ध जल से पंचामृत अभिषेक करें।

🔹 बेलपत्र, धतूरा, भस्म, सफेद पुष्प, और अक्षत अर्पित करें।

🔹 “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करते हुए दीप-धूप से आरती करें।

🔹 व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और शाम को शिव कथा या शिव चालीसा का पाठ करते हैं।

जल चढ़ाने से होते हैं ये आध्यात्मिक लाभ

भगवान शिव को जल चढ़ाने से न केवल पापों का शमन और रोगों से मुक्ति मिलती है, बल्कि इससे व्यक्ति की मनःशांति, आत्मिक उन्नति और ग्रह दोषों से राहत भी प्राप्त होती है। विशेषकर सोमवार का जल अर्पण व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और जीवन में स्थिरता लाता है।

सावन सोमवार शिव भक्ति का श्रेष्ठ समय

सावन का प्रत्येक सोमवार शिव भक्ति में लीन रहने और स्वयं को आंतरिक रूप से शुद्ध करने का उत्तम अवसर है। इस दिन भगवान शिव को जल अर्पित करना सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि आस्था और आत्मिक शक्ति से जुड़ा आध्यात्मिक अनुष्ठान है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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