श्रीमद्भागवत कथा में पं. विष्णुकांत शास्त्री ने गजेंद्र मोक्ष व श्रीकृष्ण जन्म लीला सुनाकर भक्तों को किया भाव-विभोर

चौबेपुर स्थित सनसाइन कॉन्वेंट स्कूल प्रांगण में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर श्रद्धा और भक्ति का अद्वितीय संगम हुआ। पं. विष्णुकांत शास्त्री के दिव्य वचनों से जब गजेंद्र मोक्ष और श्रीकृष्ण जन्म के प्रसंग प्रस्तुत किए गए, तो भक्तों का मन भाव-विभोर हो गया।
गजेंद्र मोक्ष की कथा सुनाते हुए पं. शास्त्री ने बताया कि गजेंद्र ने अपने बल और साहस से जब हार मान ली और भगवान की शरण में आया, तो नारायण ने उसे अपनी शरण में लेकर उसकी रक्षा की। उन्होंने कहा, "जब जीव समर्पण भाव से भगवान के चरणों में आता है, तब भगवान उसकी रक्षा करते हैं।"
लेकिन कथा का चरम क्षण तब आया, जब श्रीकृष्ण जन्म का दिव्य प्रसंग आरंभ हुआ। कथा-स्थल पर बैठे श्रद्धालु उस क्षण पूरी तरह स्थिर और शांत थे, जैसे प्रत्येक भक्त भीतर ही भीतर उस दिव्य प्रसंग को अपने सामने घटता हुआ अनुभव कर रहा हो। कुछ श्रद्धालु हाथ जोड़े हुए, कुछ ने भाव विह्वल होकर आँखें बंद की हुईं थीं। वातावरण में एक गहन श्रद्धा का भाव व्याप्त था। जैसे ही शास्त्रीजी की वाणी में श्रीकृष्ण जन्म की कथा पूरी की, तो पंडाल में सहज रूप से ‘जय कन्हैया लाल की’ का उद्घोष हुआ, जो धीरे-धीरे सामूहिक स्वर में गूंजने लगा और कथा स्थल को भक्ति के आलोक से भर गया। कृष्ण धुन पर भक्तों के कदम थिरक उठे।
पं. शास्त्री ने कहा, "जब मथुरा की रात घोर अंधकार से आच्छादित थी, तब उसी अंधकार को चीरते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने देवकी की कोख से जन्म लिया।" उनका जन्म कोई साधारण घटना नहीं थी, वह स्वयं साक्षात नारायण थे, जिन्होंने अधर्म को नष्ट करने और धर्म की स्थापना के लिए अवतार लिया।
इस अवसर पर, कथा स्थल पर उपस्थित श्रद्धालु भावनाओं में डूबे थे। कई भक्तों ने एकाग्रचित्त होकर इस महान लीलाओं का श्रवण किया, जबकि कुछ की आँखों में आंसू थे, जो उस दिव्य प्रसंग को अपने हृदय में महसूस कर रहे थे। विशेष रूप से महिलाएँ और बच्चे श्रीकृष्ण के जन्म के उस दृश्य को अपने जीवन की सबसे खूबसूरत अनुभूति के रूप में आत्मसात कर रहे थे।
यह आयोजन पूर्वांचल के वरिष्ठ व्यवसायी चंद्रशेखर तिवारी 'मून बाबू' द्वारा, स्व. न्यायमूर्ति श्रीषनाथ तिवारी की पुण्यस्मृति में किया गया है, जिसमें प्रतिदिन आसपास के इलाके से भारी संख्या में श्रद्धालु पहुँच रहे हैं।
कथा के रसपान में सम्मिलित प्रमुख श्रद्धालुओं में अजगरा विधायक त्रिभुवन राम, पूर्व न्यायाधीश अजीत कुमार तिवारी, अरुण तिवारी, रवि तिवारी, धर्मेंद्र तिवारी, सत्येंद्र उपाध्याय, अपूर्व कुमार तिवारी, विनोद चतुर्वेदी, हवलदार सिंह, नथुनी यादव, शिवम चतुर्वेदी, संतोष कन्नौजिया सहित कई गणमान्यजन उपस्थित रहे।