सोम प्रदोष और मासिक शिवरात्रि का संयोग, आषाढ़ महीने का दुर्लभ पुण्य अवसर

सोम प्रदोष और मासिक शिवरात्रि का संयोग, आषाढ़ महीने का दुर्लभ पुण्य अवसर
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आज का दिन शिव भक्तों के लिए अत्यंत खास और पुण्यकारी है। इस सोमवार को एक साथ दो पावन व्रतों का संयोग बन रहा है—सोम प्रदोष व्रत और आषाढ़ मास की मासिक शिवरात्रि। ऐसे दुर्लभ योग में भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है। शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धापूर्वक शिव-शक्ति की उपासना करता है, उसे पापों से मुक्ति और जीवन में सुख, शांति व समृद्धि की प्राप्ति होती है।

शिव और शक्ति की आराधना से मिलती है मोक्ष और सौभाग्य

सोम प्रदोष व्रत, प्रदोष काल यानी सूर्यास्त से पहले के समय में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व रखता है। वहीं मासिक शिवरात्रि, हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है, और आषाढ़ मास की यह शिवरात्रि देवी पार्वती और महादेव के मिलन का प्रतीक मानी जाती है। इस दिन व्रत, उपवास और रात्रि जागरण के साथ शिव चालीसा, रुद्राष्टक, महामृत्युंजय जाप और रुद्राभिषेक करना अत्यंत शुभ माना गया है।

धार्मिक महत्व के साथ-साथ ग्रह दोषों का निवारण भी संभव

ज्योतिष के अनुसार, सोम प्रदोष और शिवरात्रि पर व्रत रखने से न सिर्फ आत्मिक शुद्धि होती है बल्कि कुंडली में मौजूद शनि, राहु और केतु जैसे ग्रहों के दोषों का शमन भी संभव होता है। विशेष रूप से अविवाहित युवक-युवतियां अगर इस दिन भोलेनाथ और माता पार्वती से जीवनसाथी के लिए प्रार्थना करें, तो उत्तम दांपत्य सुख की प्राप्ति होती है।

पुण्य लाभ पाने का सर्वोत्तम समय और पूजन विधि

सोम प्रदोष और मासिक शिवरात्रि के इस योग में शाम के समय शिवलिंग का पंचामृत से अभिषेक, बेलपत्र, धतूरा, आक, चंदन और भस्म अर्पित करना चाहिए। इसके साथ ही घी का दीपक जलाकर शिव मंत्रों का जाप करना अत्यंत फलदायी होता है। इस दिन “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप अवश्य करें। माना जाता है कि इस दिन उपवास और पूजा करने से शिव कृपा से हर बाधा दूर होती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

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