सोमवार व्रत 2025: भाद्रपद दशमी पर शिव-पार्वती की पूजा से मिलेगा दांपत्य सुख और चंद्रमा का आशीर्वाद

सोमवार व्रत 2025: भाद्रपद दशमी पर शिव-पार्वती की पूजा से मिलेगा दांपत्य सुख और चंद्रमा का आशीर्वाद
X

आज का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भाद्रपद मास की दशमी तिथि और सोमवार का संगम भक्तों के लिए विशेष फलदायी अवसर लेकर आया है। सनातन परंपरा में सोमवार को भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है, लेकिन जब यह दिन देवी पार्वती की उपासना के साथ जुड़ता है तो दांपत्य जीवन की खुशहाली और स्थिरता का वरदान मिलता है।

शिव-पार्वती की संयुक्त आराधना का महत्व

धार्मिक मान्यता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की संयुक्त पूजा करने से दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बना रहता है। पति-पत्नी के रिश्ते में स्थिरता आती है और आपसी मनमुटाव दूर होता है। इस दिन व्रत और पूजन करने से चंद्रमा की स्थिति भी अनुकूल हो जाती है, जिससे मन को शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।

वैवाहिक जीवन में सौहार्द का प्रतीक

भाद्रपद मास की दशमी तिथि के सोमवार को व्रत रखने का विशेष महत्व है। विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु और परिवार में सुख-समृद्धि की कामना से यह व्रत करती हैं। वहीं, अविवाहित युवतियां अच्छे और योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति की अभिलाषा से सोमवार के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करती हैं।


पूजा-व्रत की परंपरा

इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद भक्तजन गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं और माता पार्वती को श्रृंगार सामग्री अर्पित करते हैं। बेलपत्र, धतूरा, अक्षत, पुष्प और जल से पूजा करने पर भगवान शिव प्रसन्न होकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। साथ ही व्रतधारी पूरे दिन संयमित रहकर संध्या के समय व्रत कथा सुनते हैं और पूजन के बाद व्रत का समापन करते हैं।

यह लेख/समाचार लोक मान्यताओं और जन स्तुतियों पर आधारित है। पब्लिक खबर इसमें दी गई जानकारी और तथ्यों की सत्यता या संपूर्णता की पुष्टि की नहीं करता है।

Tags:
Next Story
Share it