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उत्तराखंड: सरकारी अस्पताल में आए डिलीवरी के चार केस, दुनिया में आने के बाद चारों नवजात की मौत

उत्तराखंड: सरकारी अस्पताल में आए डिलीवरी के चार केस, दुनिया में आने के बाद चारों नवजात की मौत

हल्द्वानी में सुशीला तिवारी...Editor

हल्द्वानी में सुशीला तिवारी अस्पताल में बुधवार शाम से लेकर गुरुवार तड़के तक चार नवजातों की मौत के बाद हड़कंप मच गया।

जानकारी के मुताबिक अस्पताल में बुधवार की रात एक साथ डिलीवरी के तीन मामले आए थे। जहां डिलीवरी के बाद तीनों नवजात की मौत हो गई। परिजनों ने डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा कर दिया। वहीं अब तक अस्पताल प्रशासन इस मामले में चुप है।

गुरुवार को तड़के भी अस्पताल में डिलीवरी का एक केस आया था, लेकिन डॉक्टर के आने से पहले ही महिला ने बच्चे को जन्म दे दिया था और नवजात की मौत हो गई। चारों नवजात की मौत के मामले खटीमा, हल्दूचौड़ और कोटाबाग के हैं। परिजनों ने गुरुवार तड़के तीन बजे पुलिस को इस मामले की जानकारी दी, लेकिन सुबह 11 बजे तक भी पुलिस नहीं पहुंची।

कोटाबाग निवासी महेश कांडपाल, खटीमा निवासी संजय सिंह और हल्दूचौड़ निवासी भुवन सिंह अपनी पत्नी का प्रसव करने अस्पताल में पहुचे थे। सुरक्षित प्रसव के बावजूद एक-एक कर चार बच्चों की मौत हो गई। इससे आक्रोशित परिवार ले लोगों ने अस्पताल में जमकर हंगामा काटा।

परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टर्स डयूटी करने बजाय रात भर सोते रहते है। जब बच्चों की मौत हुई तब भी कोई डॉक्टर वार्ड में मौजूद नहीं था। उनका आरोप था कि मृत बच्चों को कूड़ेदान में डाल दिया गया था।

थमे रहे 108 के पहिए, मरीजों-तीमारदारों की फजीहत

वेतन नहीं मिलने से नाराज 108 कर्मियों ने मंगलवार को कुमाऊंभर में कार्यबहिष्कार किया। इस दौरान पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय सहित सभी विकासखंडों, चंपावत, लोहाघाट, रीठा साहिब, टनकपुर और पाटी में कर्मियों ने वाहनों को खड़ा कर दिया।

108 सेवा ठप होने से मरीजों को काफी दिक्कतें उठानी पड़ीं। बागेश्वर में 108 एंबुलेंस कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से दो गर्भवती महिलाओं की हालत बिगड़ गई। इनमें से एक गर्भवती की अस्पताल गेट पर डिलीवरी हुई।

इधर, नैनीताल जिले से 150 मरीज अस्पताल नहीं पहुंच सके। जबकि खुशियों की सवारी के लिए भी 44 काल की गईं पर कोई जवाब नहीं मिला। वैकल्पिक व्यवस्था के दावे धरे रह गए और 108 एंबुलेंस का पहिया तक नहीं घूमा।

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