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उत्तराखंड: क्रिकेट टीमों के चयन में बड़े स्तर पर फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल, जांच में खुलासा

उत्तराखंड: क्रिकेट टीमों के चयन में बड़े स्तर पर फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल, जांच में खुलासा

राज्य में क्रिकेट टीमों के...Editor

राज्य में क्रिकेट टीमों के ट्रायल में शामिल होने के लिए क्रिकेटरों ने बड़े पैमाने पर फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया है। ज्यादातर क्रिकेटरों ने ट्रायल में शामिल होने के लिए अगस्त माह में ही दस्तावेज तैयार किए थे, जिनमें से ज्यादातर फर्जी थे। बीसीसीआई की प्रारंभिक जांच में इस तथ्य का खुलासा हुआ है।

प्रदेश में पहली बार राज्य क्रिकेट संचालन समिति का गठन होने के बाद अलग-अलग वर्गों की क्रिकेट टीम चुनने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके बाद से ही टीमों में शामिल होने के लिए खिलाड़ी भी जोर आजमाइश करने लगे। इसमें कई ऐसे खिलाड़ी भी शामिल हो गए, जिन्होंने टीम में शामिल होने के लिए फर्जीवाडे़ का सहारा लिया है। टीमों के चयन के लिए ट्रायल होने से पहले से ही इसकी आशंका जताई जाने लगी थी। इस दौरान ऐसे गिरोहों के सक्रिय होने की जानकारी भी सामने आई थी, जो क्रिकेटरों के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र और निवास प्रमाण पत्र तक बनवा रहे थे। यह मामला खेल मंत्री अरविंद पांडेय और राज्य क्रिकेट संचालन समिति के समन्वयक प्रो. रत्नाकर शेट्टी तक भी पहुंचा था।

खेल मंत्री ने शुरूआत में कार्रवाई का दावा तो किया लेकिन बाद में उन्होंने चुप्पी साध ली। अंडर-19 टीम के ट्रायल में भी कई अधिक उम्र के खिलाड़ियों के शामिल होने के आरोप लगे थे। टीम घोषित होने के बाद तीन क्रिकेटरों के ओवरएज होने की जानकारी सामने आई थी, जिसकी पुष्टि जांच में हुई। अब अंडर-16 के संभावितों में से ज्यादातर के बोन टेस्ट में फेल होने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए खिलाड़ियों और उनके अभिभावकों ने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया है।

झेलना पड़ सकता है नुकसान

टीम में शामिल होने के लिए फर्जीवाड़ा करने का खिलाड़ियों को नुकसान भी झेलना पड़ सकता है। नए नियमों के तहत दस्तावेजों में फर्जीवाडे़ और गड़बड़ियों पर बीसीसीआई संबंधित क्रिकेटर पर दो साल तक का बैन लगा सकती है। इस अवधि में वह क्रिकेटर संबंधित टीम और बीसीसीआई की किसी भी प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं ले सकता। साथ ही संबंधित क्रिकेटर को हमेशा शक की नजर से भी देखा जाता है।

कई स्कूल और एकेडमी शामिल

क्रिकेटरों के फर्जी दस्तावेज तैयार करने के खेल में कई स्कूल और क्रिकेट कोचिंग एकेडमी भी शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार, अंडर-19 और अंडर-16 के ट्रायल से पहले ही हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कई क्रिकेटरों के फर्जी दस्तावेज तैयार कर लिए गए थे। उन क्रिकेटरों के उत्तराखंड के स्कूलों में पढ़ाई करने और जन्म प्रमाण पत्र के फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए।

ट्रायल में शामिल लगभग 90 फीसदी क्रिकेटरों के दस्तावेज अगस्त माह में बनाए गए थे। खिलाड़ियों के अभिभावक शुरूआत में ही दस्तावेज तैयार कर लेते हैं। ऐसे में पहली बार आयोजित हो रहे ट्रायल से एक माह पहले जन्म व निवास के प्रमाण पत्र तैयार करना क्रिकेटर को संदेह के घेरे में लाता है। बीसीसीआई सभी दस्तावेजों की कई स्तरों पर जांच करवा रही है। इसके अलावा भी अगर किसी के दस्तावेजों को लेकर शिकायत आती है तो उसकी जांच के बाद कार्रवाई की जाती है। अंडर-19 टीम के तीन खिलाड़ियों पर दो साल का बैन इसी के तहत लगाया गया।

- प्रो. रत्नाकर शेट्टी, समन्वयक, उत्तराखंड क्रिकेट संचालन समिति

टीम से जुड़ी कोच

अंडर-19 बालिका टीम की नवनियुक्त कोच सविता निराला बृहस्पतिवार को टीम के साथ जुड़ गईं। बीसीसीआई ने पहले राज्य की अंडर-19 बालिका टीम के लिए गौतम सोम को कोचिंग का जिम्मा सौंपा था। हालांकि शिविर के पहले तीन दिन वह नहीं पहुंचे। पारिवारिक कारणों से हटने के बाद बीसीसीआई ने सविता को जिम्मेदारी सौंपी। सविता बृहस्पतिवार को तनुष क्रिकेट एकेडमी में चल रहे कैंप में पहुंची, जिसके बाद चौथे दिन महिला क्रिकेटरों ने पहली बार अभ्यास किया। उन्होंने बैटिंग, फिल्डिंग, बॉलिंग, रनिंग का भी अभ्यास किया।

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