तीन हजार किसानों के खेतों में लहलहा उठी जैविक फसल
- In उत्तराखंड 11 Oct 2018 1:13 PM IST
पहाड़ के काश्तकारों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से उत्तराखंड मंडी परिषद द्वारा चलाए गए पायलट प्रोजेक्ट के तहत अल्मोड़ा जिले के स्याल्दे और चमोली के दशोली ब्लॉक के कई गांवों में पिछले तीन साल से करीब 1600 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में विशुद्ध जैविक ढंग से विकसित मडुवा, झिंगोरा और चौलाई की फसलें लहलहा उठी हैं।
बकायदा एपिडा ने यहां उत्पादित ऑर्गगनिक पौष्टिक अनाज को प्रमाणित भी कर दिया है। इन दोनों ब्लॉकों में करीब 30 हजार क्विंटल उपज होने का अनुमान है। यह पहली बार हो रहा है कि जब उक्त जैविक उपज को उत्तराखंड मंडी परिषद काश्तकारों से खरीदकर इसकी खुद ब्रांडिंग और बिक्री करेगी। इससे काश्तकारों की आय में 30 से 40 प्रतिशत इजाफा होने की उम्मीद है।
उत्तराखंड मंडी परिषद ने जैविक खेती के क्षेत्र में काम कर रही सर्ग संस्था के सहयोग से तीन साल पहले स्याल्दे ब्लॉक के सराईखेत, इकूखेत, मठखानी आदि गांवों के अलावा थलीसैंण के चार गांवों और चमोली जिले के दशोली ब्लॉक के धारकोट, निजमुल्ला, मौली, होरंग, झिजी, सरतोली आदि गांवों के तीन हजार किसानों को इस कार्य से जोड़ा और उन्हें अच्छी गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराकर उन्हें जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया।
सर्ग की निदेशक विनीता साह ने बताया कि स्याल्दे ब्लॉक में करीब 800 हेक्टेयर और दशोली के गांवों में करीब 810 हेक्टेयर क्षेत्र में झिंगोरा, चौलाई और मडुवा की फसलें लहलहा रही हैं। इन क्षेत्रों में उत्पादित जैविक अनाज को एपिडा से भी प्रमाणपत्र मिल चुका है।
उत्तराखंड मंडी परिषद के निदेशक धीराज सिंह गर्ब्याल ने बताया कि दोनों ब्लॉकों में उत्पादित मडुवा, झिंगोरा और चौलाई की करीब 30 हजार क्विंटल की उपज को मंडी परिषद खुद निर्धारित मूल्य में खरीदेगी। झिंगोरा और चौलाई का मूल्य कुछ दिनों में तय कर लिया जाएगा। जबकि मडुवा का मूल्य पहले से ही (2900 रुपये क्विंटल ) तय है।
पायलट प्रोजेक्ट के तहत उत्पादित करीब 30 हजार क्विंटल चौलाई, झिंगोरा और मडुवा की ब्रांडिंग के बाद देश के विभिन्न इलाकों के अलावा विदेशों में भी बिक्री के प्रयास किए जाएंगे। इससे जो मुनाफा होगा वह भी काश्तकारों को ही बांटा जाएगा। जैविक खेती से इन इलाकों के काश्तकारों की आय में इजाफा होगा।
- धीराज सिंह गर्ब्याल, निदेशक उत्तराखंड मंडी परिषद