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निकाय चुनाव का बिगुल बजते ही कर्मचारियों को लगा झटका, ये है वजह

निकाय चुनाव का बिगुल बजते ही कर्मचारियों को लगा झटका, ये है वजह

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निकाय चुनाव का बिगुल बजने से जहां चुनाव लड़ने के इच्छुक प्रत्याशियों का लंबा इंतजार समाप्त हुआ, वहीं कर्मचारियों को इससे थोड़ा झटका लगा है। दरअसल, सरकारी कर्मचारी यह उम्मीद जता रहे थे कि दीपावली से पहले सरकार सातवें वेतन आयोग की संस्तुति के अनुसार भत्तों में बढ़ोत्तरी का एलान कर देगी। अब निकाय चुनाव की आचार संहिता के चलते ऐसा होना बहुत मुश्किल नजर आ रहा है।

प्रदेश में सातवां वेतनमान लागू होने के साथ ही कर्मचारियों को इसका एरियर भी मिल चुका है। अब कर्मचारियों की लंबे समय से निगाहें सातवें वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुसार दिए जाने वाले भत्तों पर टिकी है। दरअसल, कर्मचारियों को अभी हाउस रेंट एलाउंस, डियरनेस एलाउंस समेत अन्य छठे वेतनमान की संस्तुतियों के अनुसार मिल रहे हैं। सातवें वेतनमान की संस्तुतियों में इन भत्तों में कुछ बदलाव किए गए हैं। इससे कर्मचारियों को खासा आर्थिक लाभ होगा।

सरकार अभी तक प्रदेश की वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए इस मसले को लंबित रखे हुए थी। इस बीच कर्मचारी संगठनों के बढ़ते दबाव के बाद सातवें वेतनमान के भत्तों का मसला कैबिनेट में लाया गया। कैबिनेट ने इसके लिए एक समिति का गठन किया। इस समिति की रिपोर्ट अब कैबिनेट में प्रस्तुत की जानी है। इसके आधार पर सरकार को भत्तों पर निर्णय लेना है। अब जब दीपावली का त्यौहार पास है, ऐसे में सभी कर्मचारी यह उम्मीद कर रहे थे कि सरकार 25 अक्टूबर को होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस मसले को ला सकती है। सरकार ने इसके संकेत भी कर्मचारी संगठनों को दिए थे।

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