मातृसदन के दो और संत गंगा के लिए करेंगे तप
- In उत्तराखंड 23 Oct 2018 5:41 PM IST
मातृसदन आश्रम में बुधवार से गंगा और पूर्व प्रोफेसर जीडी अग्रवाल (ज्ञानस्वरूप सानंद) की मांगों को पूरा कराने के लिए दो संत तप शुरू कर रहे हैं। इनमें आत्मबोधानंद तप के दौरान केवल जल के साथ नींबू, नमक और शहद लेंगे, वहीं पुण्यनानंद अन्न त्याग रहे हैं, लेकिन अगर किसी कारणवश आत्मबोधानंद को कुछ हो जाता है तो पुण्यानंद फल आदि भी त्याग देंगे। वहीं, इस बार स्वयं तप नहीं करने पर स्वामी शिवानंद सरस्वती का कहना है कि उनके शिष्यों ने उन्हें जबरन तप नहीं करने दिया, लेकिन अगर जरूरत पड़ेगी तो वह भी तप शुरू करेंगे।
मंगलवार को मातृसदन आश्रम में पत्रकारों से वार्ता के दौरान मातृसदन परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती ने बताया कि पूर्व घोषणा के अनुसार आश्रम के ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद 24 अक्तूबर से तप शुरू कर देंगे। पत्रकार वार्ता में जैसे ही शिवानंद सरस्वती की ओर से इस बात की घोषणा की गई तो आश्रम के स्वामी पुण्यानंद ने भी बुधवार से अन्न छोड़ने का एलान कर दिया। उन्होंने कहा कि जब तक सानंद की मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा, तब तक वह भी अन्न ग्रहण नहीं करेंगे। जिस पर परमाध्यक्ष ने उन्हें मनाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं माने, उल्टे कहा कि अगर तप के दौरान आत्मबोधानंद को कुछ हो
जाता है तो वह फल भी आदि छोड़कर आत्मबोधानंद की तर्ज पर तप शुरू कर देंगे। जिसमें वह केवल जल के साथ नींबू, नमक और शहद ही ग्रहण करेंगे, क्योंकि जब सरकार को बलिदान ही चाहिए हैं तो उन्हें बलिदान पर बलिदान दिए जाएंगे। परमाध्यक्ष के समझाने पर भी पुण्यानंद के नहीं मानने पर उन्हें भी तप करने की सहमति दे दी। शिवानंद सरस्वती ने कहा कि मातृसदन की ओर से सानंद की मांगों को पूरा करने के लिए शुरू किए जा रहे तप के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा गया है। जिसमें पीएम से मातृसदन के एक प्रतिनिधिमंडल से मिलने का समय भी मांगा गया है।
शिवानंद बोले, 17 बार तप कर चुका हूं, जरूरत पड़ेंगी तो फिर करूंगा तप
मातृसदन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी शिवानंद सरस्वती अभी तक 17 बार तप कर चुके हैं, वह अधिकतम 2012 में छह अगस्त से 10 सितंबर तक यानि अधिकतम 36 दिन तक तप कर चुके हैं। वर्ष 2015 में वह तप के दौरान छह दिन तक जल, नींबू, नमक और शहद भी त्याग कर चुके हैं। इस बार स्वयं तप नहीं करने पर उनका कहना है कि उनके शिष्यों ने उन्हें जबरन तप नहीं करने दिया, जिससे वह तप नहीं शुरू नहीं कर रहे हैं, लेकिन अगर जरूरत पड़ेगी तो वह भी तप शुरू करेंगे।
पहले अपना बलिदान देंगे, इसके बाद चाहे कुछ भी हो
बुधवार से तप शुरू करने जा रहे ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद और दयानंद, पुण्यानंद का संयुक्त रूप से कहना है कि उनके होते हुए उनके गुरु का बलिदान हो जाए, उनके लिए इससे बड़ा दुर्भाग्य कोई नहीं हो सकता है। इसलिए वह पहले अपना बलिदान देंगे, इसके बाद चाहे कुछ भी होता रहे, इसलिए पहले गुरुदेव के शिष्यों ने तप शुरू करने का निर्णय लिया है।