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एक ऐसी पत्नी की कहानी, जो दिव्यांग पति की सेवा को ही मानती है करवा चौथ का त्योहार

एक ऐसी पत्नी की कहानी, जो दिव्यांग पति की सेवा को ही मानती है करवा चौथ का त्योहार
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उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान अक्तूबर 1994 में गोली लगने से दिव्यांग हुए प्रकाश कांति की पत्नी सुषमा उनकी सेवा कर रही है। साथ ही आज वह पति के साथ मिलकर एक स्कूल का संचालन कर रही है। वह पति की सेवा को ही करवा चौथ का त्योहार मानती हैं।

उनका कहना है कि त्योहार मनाने में किसी प्रकार की बनावट नहीं होनी चाहिए। अमर उजाला से बातचीत में अशोकनगर निवासी सुषमा ने बताया कि तीन अक्तूबर 1994 में उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन उग्र रूप से ले चुका था।

करीब 2000 की संख्या में लोग बीएसएम तिराहे पर अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे थे। आंदोलन के दौरान उनके पति प्रकाश कांति गोली लगने से घायल हो गए थे। करीब दो महीने दिल्ली अस्पताल में भर्ती रहने के बाद ठीक हुए। मगर गोली लगने से वह चलने लायक नहीं रहे।

उस समय उनकी शादी हुए साढ़े तीन साल हुए थे। घर में उनकी डेढ़ साल की पुत्री भी थी। पति के अपाहिज होने के बाद वह काफी टूट गई थी। इसके बाद पति और परिवार को खुद संभाला। पति ने भी उनका पूरा सहयोग किया।

बाद में उन्होंने पति को एक प्ले स्कूल खोलने का आइडिया बताया। उसके बाद उन्होंने 10 बच्चों से एक प्ले स्कूल शुरू किया। आज स्कूल में छात्र संख्या करीब 400 है। बताया कि स्कूल की मान्यता को लेकर दौड़ भाग उन्होंने ही की।

स्कूल से संबंधित बाहरी काम वे ही देखती हैं। घर रहते हुए पति की सेवा में लगी रहती है। उनका कहना है कि किसी त्योहार में दिखावा नहीं होना चाहिए। सच्ची सेवा करना किसी त्योहार से कम नहीं होती। साथ ही पति की सेवा या लंबी आयु के लिए दुआएं करना किसी त्योहार तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए।

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