अब निजी अस्पतालों में होगा मुफ्त प्रसव, सरकार उठा रही ये कदम

दून व आसपास की गर्भवती महिलाएं अब निजी अस्पतालों में भी निश्शुल्क प्रसव करा सकेंगी। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर ली है।
दून अस्पताल में अत्याधिक दबाव को देखते हुए सरकार ने फौरी तौर पर निजी चिकित्सालयों में मरीज रेफर करने का निर्णय लिया है। ऐसे सभी निजी अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत सूचीबद्ध किए जा रहे हैं, जहां प्रसव की सुविधा है।
स्वास्थ्य सचिव नितेश झा ने इस संबंध में महानिदेशालय के अधिकारियों, देहरादून के प्रमुख चिकित्सालयों के प्रतिनिधियों व आइएमए के सदस्यों के साथ बैठक की। इस दौरान प्रमुख चिकित्सालयों सीएमआइ, श्री महंत इंदिरेश, मैक्स, सिनर्जी, कैलाश अस्पताल ने आयुष्मान भारत योजना से जुड़ने की औपचारिक सहमति दी।
यह अस्पताल अपने यहां आयुष्मान भारत के लाभार्थियों के लिए अलग से बेड आरक्षित रखेगें, ताकि मरीजों के आने पर या सरकारी चिकित्सालयों से रेफर होने पर किसी प्रकार की असुविधा न हो।
स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि सीमावर्ती चिकित्सालयों में प्रसव की संख्या वहां उपलब्ध सुविधाओं के अनुकूल है, लेकिन दून चिकित्सालय में अत्यधिक दवाब को देखते हुए सरकार ने निजी चिकित्सालयों में मरीज रेफर करने का निर्णय लिया गया है। यह अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत गर्भवती महिलाओं की निश्शुल्क डिलिवरी करेंगे। साथ ही अन्य मरीजों को भी पांच लाख तक का निश्शुल्क उपचार दिया जाएगा।
बैठक में स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अमिता उप्रेती, अपर निदेशक डॉ. सरोज नैथानी, आइएमए के प्रातीय सचिव डॉ. डीडी चौधरी, सीएमआइ अस्पताल के निदेशक डॉ. आरके जैन और श्री महंत इंदिरेश, मैक्स अस्पताल, सिनर्जी अस्पताल एवं कैलाश अस्पताल के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
यू-हेल्थ कार्ड, एमएसबीवाई के लंबित भुगतान को समिति
निजी चिकित्सकों ने यू-हेल्थ कार्ड व मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के लंबित भुगतान का भी मामला बैठक में रखा। इस पर स्वास्थ्य सचिव ने महानिदेशालय के अंतर्गत एक पाच सदस्यीय कमेटी के गठन के निर्देश दिए हैं। यह कमेटी पूर्व में सूचीबद्ध निजी चिकित्सालयों के यू हेल्थ व एमएसबीवाई से संबंधित लंबित भुगतान का निपटारा एक माह में करेगी।
सरकारी अस्पतालों पर दबाव
पिछले सात माह में दून चिकित्सालय में 3437 प्रसव हुए। इनमें 1309 सिजेरियन हैं।
-एसपीएस चिकित्सालय ऋषिकेश में 1014 प्रसव कराए गए, जबकि वहां महिलाओं के लिए मात्र 20 बेड हैं।
संयुक्त चिकित्सालय प्रेमनगर में गर्भवती महिलाओं के लिए दस बेड हैं, जबकि 618 प्रसव हुए हैं।
-सीएचसी विकासनगर में 1081, रायपुर में 208, डोईवाला में 281 व सहसपुर में 135 प्रसव बीते सात माह में हुए हैं।
आवश्यकता से कम बेड होने पर लिया ये निर्णय
स्वास्थ्य सचिव नितेश झा के अनुसार सरकारी अस्पतालों में आवश्यकता से कम बेड उपलब्ध होने के कारण कई बार मरीजों को उपचार में असुविधा होती है। इससे अनोहोनी की संभावना भी बढ़ जाती है। इस पर यह निर्णय लिया गया है कि आयुष्मान भारत योजना के तहत चिकित्सालयों को सूचीबद्ध कर वहा प्रसव के लिए पृथक से बेड आरक्षित कर लिए जाएं।