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सरहदी जिलों में गायों की बड़े पैमाने पर मौत: राजस्थान

सरहदी जिलों में गायों की बड़े पैमाने पर मौत:  राजस्थान
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गायों की हो रही मौत के विरोध में साधु-संतो और गोपालकों ने राज्य और केंद्र सरकार का विरोध करने का एक नायाब तरीका अपनाया. बाड़मेर में साधु-संतो द्वारा एक मरी हुई गाय की शवयात्रा निकाली गई. बुधवार को इस गाय की भुखमरी से मौत हो गई थी.

इस शवयात्रा में शामिल हुए साधु-संतों ने 'जय गोमाता, जय गोपाला' के नारे लगाए. लोगों का आरोप है कि नैशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड (एनडीआरएफ) के नियमों में विसंगतियों की वजह से बाड़मेर और जैसलमेर जिलों में चारे की काफी कमी है. केंद्र और राज्य सरकारों का इस ओर ध्यान दिलाने के लिए अंतिम यात्रा के जरिए विरोध प्रदर्शन किया गया.

पिछले एक महीने के अंदर इन दो जिलों (बाड़मेर और जैसलमेर) में गायों की बड़े पैमाने पर मौत हुई है. इस मामले में साधु समाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक लाख पोस्टकार्ड भेजने की तैयारी कर रहा है. इस बीच बाड़मेर-जैसलमेर के प्रभारी मंत्री बीडी कल्ला और इलाके से आने वाले कैबिनेट मंत्री सालेह मोहम्मद ने चारे की कमी के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. उनका कहना है डिजास्टर रिस्पॉन्स फंड के नियमों की वजह से राहत कैंपों के जरिए चारा मुहैया कराना मुश्किल हो गया है.

वहींबाड़मेर के अडिशनल कलेक्टर राकेश कुमार का कहना है कि राज्य सरकार ने जिले में 512 चारा डिपो को मंजूरी दी है और इनमें से 412 काम कर रहे हैं. गाय की अंतिम यात्रा को देखने इकट्ठा हुए लोगों का कहना है कि पश्चिमी राजस्थान में बढ़ते तापमान, चारे और पानी की कमी की वजह से मवेशी मर रहे हैं. इस मामले में कलेक्टर के दफ्तर के बाहर 4 दिन से प्रदर्शन किया जा रहा है लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. अब साधुओं ने गाय की अंतिम यात्रा निकालकर इस विरोध प्रदर्शन में अपनी हिस्सेदारी दी है.

वहीं गोसेवा सेवा समिति के महंत रघुनाथ भारती का आरोप है कि केंद्र और राज्य सरकार को गायों की चिंता नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर गाए वोट दे पाती तो सबको इनकी चिंता हो

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