कश्मीरी पंडित निर्वासित जीवन जी रहे

भारत भी शरणार्थियों की समस्या से ग्रस्त है. इस समय देश में करीब 2 लाख शरणार्थी रहते हैं जिसमें तिब्बती, रोहिंग्या, अफगानी समुदाय के लोग यहां पर निर्वासित जीवन जी रहे हैं. इन विदेशी शरणार्थियों के अलावा भारत अपने ही कश्मीरी पंडितों के निर्वासित जीवन का पुनर्वास नहीं कर सका है और ढेरों वादों के बीच यह समस्या अभी भी अनसुलझी है.
1989-90 के दशक की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर की घाटी में आतंकवाद की घटनाएं शुरू हुई और आतंकी गतिविधियों का शिकार ज्यादातर कश्मीरी पंडित हुए. इस डर के माहौल में 1 से 2 लाख कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ दी और देश के अन्य हिस्सों में वे विस्थापित जीवन जीने को मजबूर हैं.
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