उत्तराखंड में 12 हजार करोड़ आयकर का लक्ष्य, कार्यालय में तलब नहीं करेंगे अधिकारी
- In उत्तराखंड 30 Nov 2018 12:03 PM IST
देहरादून। आयकर विभाग ने इस वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड से 12 हजार 179 करोड़ रुपये का आयकर वसूली का लक्ष्य रखा है। पिछले साल की तुलना में यह लक्ष्य 12.35 फीसद अधिक है।
सुभाष रोड स्थित आयकर भवन में पत्रकारों से रूबरू मुख्य आयकर आयुक्त रजनीकांत गुप्ता ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड से 11 हजार 134 करोड़ रुपये के लक्ष्य के सापेक्ष 10 हजार 840 करोड़ रुपये मिले थे। इसमें अकले ओएनजीसी से नौ हजार 739 करोड़ रुपये का आयकर प्राप्त हुआ।
एडवांस टैक्स के रूप में अब तक राज्य से 57 फीसद टैक्स (6,309 करोड़ रुपये) वसूल कर लिया है। ओएनजीसी से ही अब तक 4900 करोड़ रुपये प्राप्त हो गए हैं, जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 2050 करोड़ रुपये पर सिमटा था।
इसके अलावा डिविडेंट डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स के रूप में 176 करोड़ रुपये भी प्राप्त हो गए हैं। टैक्स वसूली की दर बता रही है कि समय रहते लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। वहीं, आयकरदाताओं की संख्या में लगातार बढ़ रही है।
इस मामले में देहरादून से अधिक हल्द्वानी जोन ने बेहतर प्रदर्शन किया है। अब तक दून में 72.75 फीसद लक्ष्य, जबकि हल्द्वानी ने 90.54 फीसद लक्ष्य हासिल कर लिया है।
ये है स्थिति
आयकरदाताओं का लक्ष्य--------1,37,470
अब तक बने आयकरदाता------1,08,079
इससे पहले आयकरदाता थे-----7,68,213
16 सर्वे में 30 करोड़ की अघोषित आय पकड़ी
मुख्य आयकर आयुक्त रजनीकांत ने बताया कि इस साल अब तक 16 सर्वे किए जा चुके हैं, जिसमें करीब 30 करोड़ रुपये की अघोषित आय पकड़ी गई है। पिछले साल अब तक महज एक ही सर्वे किया गया था।
222 करोड़ के टैक्स पर आयकर ने छोड़ा दावा
आयकर विभाग ट्रिब्यूनल से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अलग-अलग स्तर पर एक सीमा से अधिक आयकर निहित होने पर ही वाद दायर करेगा। इसके लिए हर स्तर पर आयकर की सीमा भी तय कर दी गई है। सीबीडीटी (केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड) से मिले दिशा-निर्देश के बाद उत्तराखंड में भी इसका अनुपालन शुरू कर दिया गया है।
मुख्य आयकर आयुक्त रजनीकांत गुप्ता के अनुसार, यदि किसी प्रकरण में 20 लाख रुपये तक आयकर निहित है और आयकर आयुक्त (अपील) ने विभाग के खिलाफ आदेश दे दिया है तो इनकम टैक्स टिब्यूनल में इसकी अपील नहीं की जाएगी। इस तरह 50 लाख रुपये तक के आयकर के मामले में हाई कोर्ट और एक करोड़ रुपये तक के टैक्स पर सुप्रीम कोर्ट में अपील नहीं की जाएगी।
इस समय ट्रिब्यूनल में आयकर विभाग ने 64 व हाई कोर्ट में 13 प्रकरण दायर किए हैं। इनमें करीब 222 करोड़ रुपये का आयकर निहित है और अब विभाग ने इन्हें वापस लेने का निर्णय कर लिया है। वहीं, एक प्रकरण को लेकर सुप्रीम कोर्ट में वाद करने की तैयारी की जा रही थी। इस पर अब विराम लगा दिया गया है।
मुख्य आयकर आयुक्त गुप्ता ने बताया कि विभिन्न न्यायालयों में वादों की संख्या बढ़ती जा रही हैं और ज्यादातर मामले सरकारी संस्थानों के हैं। इसी कारण सीबीडीटी ने अपने स्तर पर एक सीमा के भीतर आयकर निहित होने पर वाद दायर न करने के दिशा-निर्देश जारी किए।
आइएएस क्लब के मामले में विकल्प खुला
सिविल सर्विसेज इंस्टीट्यूट (आइएएस क्लब) के मामले में आयकर विभाग ने प्रतिष्ठान पर दो करोड़ रुपये से अधिक की आयकर देनदारी तय की थी। इसके खिलाफ क्लब ने आयकर आयुक्त (अपील) के पास अपील की थी और क्लब इस मामले को हार गया था।
इसके खिलाफ क्लब ने इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल का दरवाजा खटखटाया था। कुछ समय पहले जारी ट्रिब्यूनल के आदेश में क्लब को राहत दी गई थी। प्रकरण में दो करोड़ रुपये से अधिक का आयकर निहित होने पर विभाग के पास अब हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक जाने का विकल्प खुला है।
अब लोगों को तलब नहीं कर पाएंगे आयकर अधिकारी
आयकर अधिकारी अब लोगों को नोटिस भेजकर कार्यालय में तलब नहीं कर पाएंगे। किसी भी तरह के जवाब के लिए अधिकारियों को ऑनलाइन ही नोटिस भेजना होगा और इसी माध्यम से उनका जवाब प्राप्त करना होगा।
मुख्य आयकर आयुक्त रजनीकांत ने कहा कि राज्य में ई-असेसमेंट प्रणाली लागू कर दी गई है। इसके तहत आयकर संबंधी किसी भी प्रकरण में लोगों से ऑनलाइन माध्यम से ही संपर्क किया जाएगा। यदि कोई करदाता जवाब देने के लिए कार्यालय आना चाहता है तो उसकी मनाही नहीं है। हालांकि विभाग अपनी तरफ से ऐसे कोई निर्देश जारी नहीं करेगा। इससे कामकाज में पारदर्शिता आएगी और लोगों को भी अनावश्यक परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी।
इसके अलावा लोगों की समस्याओं के निराकरण के लिए भी तेजी से काम किया जा रहा है। प्रयास किए जा रहे हैं कि 30 दिन के भीतर हर प्रकार के प्रकरण का निस्तारण कर दिया जाए। वहीं, प्रतिदिन लंबित मामलों की संख्या पांच फीसद से अधिक न रखने का लक्ष्य तय किया गया है। ई-निवारण के अंतर्गत 392 मामले सामने आए थे, जिनमें से 90 फीसद और सीपी ग्राम पोर्टल में प्राप्त 38 मामलों में से 97 फीसद को निपटारा कर दिया गया है।
रीजनल डायरेक्ट टैक्स एडवाइजरी कमेटी गठित मुख्य आयकर आयुक्त गुप्ता ने बताया कि प्रत्यक्ष कर की दिशा में बेहतर काम करने के लिए इस कमेटी का गठन किया गया है और गुरुवार को इसकी पहली बैठक हुई। कमेटी में अधिवक्ता, सीए, इंडस्ट्री सेक्टर समेत विभिन्न वर्ग के लोगों को जगह दी गई है।
उन्होंने बताया कि इस कमेटी का मकसद प्रत्यक्ष कर में प्रशासनिक व्यवस्था से लेकर कानूनी स्तर तक में सुधार लाने के प्रयास करना है। नीतिगत मसलों को केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। ताकि नियमों में आवश्यक संशोधन भी किए जा सकें।
धनपशुओं की खंगाली जा रही कुंडली
मुख्य आयकर आयुक्त रजनीकांत ने बताया कि कानपुर स्थित क्षेत्रीय मुख्यालय से राज्य के कुछ धनपशुओं (मोटी कमाई करने के बावजूद आयकर न भरने वाले) की जानकारी मिली है। इनके रिटर्न और अर्जित की गई संपत्ति को लेकर जांच शुरू कर दी गई है। ऐसे लोगों के खिलाफ जल्द कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। वहीं, नोटबंदी के दौरान जिन खातों में काली कमाई के प्रमाण मिले थे, अब उनका असेसमेंट शुरू कर दिया गया है।
इसके अलावा मुख्य आयकर आयुक्त ने बताया कि उत्तराखंड में जो लोग टैक्स चोरी कर रहे हैं, उन्हें देखकर लगता है कि उनमें या तो भय नहीं है या वह इतने स्मार्ट नहीं हैं। बेहद आसानी से ऐसे लोगों के खिलाफ आयकर चोरी पकड़ ली जाती है।