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एनएच- 74 घोटाला: दोनों आईएएस अफसरों ने दाखिल किए जवाब

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चर्चित एनएच-74 भूमि मुआवजा घोटाले में जांच के दायरे में आए दोनों आईएएस अफसरों चंद्रेश यादव और पंकज पांडे ने शुक्रवार शाम अपना-अपना जवाब अपर मुख्य सचिव (कार्मिक) राधा रतूड़ी को सौंप दिया है। अब यह सरकार तो तय करना है कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई की जाए।

उल्लेखनीय है कि एनएच-74 भूमि घोटाले में कई पीसीएस अफसरों और किसानों पर कार्रवाई के बाद एसआइटी की जांच शासन में तैनात दो आईएएस अधिकारियों पंकज पांडे और चंद्रेश यादव तक पहुंच गई है। एसआइटी की ओर से शासन को भेजी गई रिपोर्ट में दोनों अफसरों की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। एसआइटी की रिपोर्ट के आधार पर अपर मुख्य सचिव (कार्मिक) की ओर से दोनों अधिकारियों को नोटिस देकर कई बिंदुओं पर उनका जवाब मांगा गया और इसके लिए 10 अगस्त तक की मोहलत दी गई थी।

आखिरकार दोनों आईएएस अफसरों चंद्रेश यादव और पंकज पांडे ने शुक्रवार को अमर मुख्य सचिव (कार्मिक) से मुलाकात कर अपना लिखित जवाब सौंप दिया। सूत्रों की मानें तो दोनों अफसरों ने अपने जवाब में दिए गए तथ्यों के समर्थन में कई दस्तावेजोें को भी संलग्न किया है। इसमें उनके द्वारा पारित किए गए आदेश भी शामिल हैं। सूत्रों की मानें तो दोनों ने पूछे गए सवालों पर सिलसिलेवार ब्योरा दिया है। अब यह सरकार व शासन को तय करना है कि आगे क्या कार्रवाई होनी है।

इस बारे में आईएएस चंद्रेश यादव से बात की गई तो उन्होंने स्वीकार किया कि अपर मुख्य सचिव से मुलाकात कर जवाब दाखिल कर दिया है। आईएएस पंकज पांडे ने भी जवाब दाखिल किए जाने की पुष्टि की। इस बारे में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन वार्ता नहीं हो सकी।

आईएएस के आदेश पर दो करोड़ का मुआवजा हुआ था साढ़े सात करोड़

एनएच-74 भूमि मुआवजा घोटाले में आर्बिट्रेशन के मामलों में अनियमितता मिलने के बाद एसआईटी की जांच के दायरे में आए आईएएस चंद्रेश यादव ने एसएलओ की ओर से एक भूमि पर पारित किए गए दो करोड़ के मुआवजे को साढ़े सात करोड़ करने के आदेश दिए थे, जबकि भूमि का बैक डेट में 143 होने के कारण तत्कालीन एसडीएम ने एसएलओ को मुआवजा निरस्त करने के निर्देश दिए थे। मुआवजा भुगतान होने से पहले ही मामला पकड़ में आने से मुआवजे का भुगतान नहीं हो सका था।

काशीपुर तहसील के दभौरा मुस्तकम में रहने वाले एक ही परिवार के काश्तकार प्यारा सिंह, कश्मीर कौर और अमरजीत कौर के खसरे का 2015 में तत्कालीन एसडीएम भगत सिंह फोनिया की ओर से बैक डेट में 143 किया गया था। इसके बाद वर्ष 2016 में तत्कालीन एसडीएम ने इसे गलत बताकर तत्कालीन एसएलओ डीपी सिंह को मुआवजा रोकने का पत्र लिखा था। पत्र में जिक्र किया गया था कि पत्रावलियां अधूरी होने के साथ ही तकनीकी खामियां हैं। लिहाजा मुआवजा नहीं दिया जाए, लेकिन डीपी सिंह ने एसडीएम की रिपोर्ट को दरकिनार कर भूमि पर दो करोड़ 10 लाख का मुआवजा निर्धारित कर दिया था।

इसके बाद भी तत्कालीन एसडीएम ने कागजों में अकृषि हुई जमीन में खेती होने का हवाला देते हुए फिर एसएलओ को पत्र भेजा था, लेकिन उसे भी दरकिनार कर दिया गया था। इधर, खातेदार ने बैक डेट में कराई भूमि पर 15 करोड़ रुपये मुआवजा देने की मांग की थी। इसके बाद तत्कालीन डीएम चंद्रेश यादव के आर्बिट्रेशन न्यायालय में वाद दायर हुआ। यहां चंद्रेश यादव ने खातेदार की 15 करोड़ की मांग को आधा करते हुए डीपी सिंह की ओर तय किए गए मुआवजे को बढ़ाकर साढ़े सात करोड़ कर दिया, जबकि भूमि का बैक डेट में 143 होने के कारण मामला पहले से ही गलत था। लेकिन इसी दौरान एनएच घोटाले के प्रकाश में आने के कारण खातेदार को मुआवजे का भुगतान नहीं किया गया। एसआईटी की जांच में इस बात की पुष्टि होने के बाद एसआईटी ने इसे भी एक आपराधिक कृत्य मानते हुए शासन को भेजी अपनी जांच रिपोर्ट में शामिल किया है।

काश्तकार ने खुद नहीं कराई थी 143

दभौरा मुस्तकम में बैक डेट में खसरे का 143 करने के मामले में एसआईटी की ओर से जांच करने के बाद एक और खुलासा हुआ कि भूमि के असली खातेदारों की ओर से उसका 143 नहीं कराया गया था। खातेदार ने एसआईटी को बयान दिए कि उनके रिश्तेदारों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर भूमि की 143 कराई। इसके बाद भी उस पर मुआवजा निर्धारण हुआ और आर्बिट्रेटर ने भी इसे अनदेखा कर दिया।एसआईटी की ओर से गलत तरीके से मुआवजा लेने वाले काश्तकारों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किए जाने की खबर से किसानों में खलबली मची हुई है। एसआईटी की कार्रवाई से बचने के लिए जहां कुछ काश्तकार पूर्व में ही मुआवजे की रकम को लौटा चुके हैं, वहीं अब सितारगंज तहसील के काश्तकार इंद्रपाल ने भी शुक्रवार को 15 लाख मुआवजे की रकम वापस की है। अब तक कुल 18 काश्तकार सरकार को दो करोड़ दस लाख रुपये की रकम वापस कर चुके हैं।

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