गरीबों के लिए पक्के 'कागजी' मकान बनाने में उत्तर प्रदेश सबसे आगे

प्रधानमंत्री ग्र्रामीण आवास योजना का प्रथम चरण पूर्णता की ओर है। केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने उप्र को बेहतर प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा है। इधर हकीकत कागजी आंकड़ों के ठीक उलट है। पुरस्कार प्राप्त अफजलगढ़, जोया और धनोरा विकासखंडों से सचाई सामने लाती लाइव रिपोर्ट।
उप्र के बिजनौर का अफजलगढ़ विकासखंड राष्ट्रीय फलक पर तो चमका लेकिन यह चमक फीकी साबित हुई। अमरोहा के जोया और धनौरा में भी यही स्थिति मिली। यहां अनेक गरीब परिवार अब भी आवास को तरस रहे हैं। उप्र के इन विकासखंडों को प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्र्रामीण) में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है।
पहला चरण समाप्ति की ओर : प्रधानमंत्री आवास योजना यानी 2022 तक हर परिवार को पक्का मकान। जनवरी, 1996 से चली आ रही इंदिरा आवास योजना को 'दुरुस्त कर 01 अप्रैल, 2016 को नया नाम दे दिया गया- प्रधानमंत्री आवास योजना। प्रथम चरण के तहत 2016-17 से 2018-19 तक प्रारंभिक तीन वर्ष में देश के एक करोड़ वंचित परिवारों को पक्का मकान मुहैया कराने का लक्ष्य रखा गया। इस समय सीमा की समाप्ति में अब महज छह माह का समय शेष है।